नई दिल्ली: केरल में बारिश थमने से आखिरकार लोगों ने थोड़ी राहत की सांस ली, मगर इससे पहले भारी बारिश के कारण आई बाढ़ से मची त्रासदी ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया और सैकड़ों की जानें ले लीं. सूबे में बाढ़ की विभीषिका के कारण करीब 10 लाख लोगों को राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है. बाढ़ पीड़ितों के लिए 5,645 राहत शिविर बनाए गए हैं. बाढ़ की त्रासदी ने करीब 400 जिंदगियां लील लीं.
केरल बाढ़ के ताजा हालात पर केंद्रीय मंत्री केजे अल्फोंस ने कहा कि करीब करीब 10 लाख लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. सभी जिले के जिलाधिकारी राहत साम्रगी पहुंचाने और दूसरे विभागों से तालमेल बैठाने में जुटे हुए हैं. केंद्र की तरफ से अद्भुत सेवा पहुंचाई गई है. इस त्रास्दी के सबसे बड़े हीरो मछुआरे हैं. अपने 600 नाव के जरिए ये मछुआरे लोगों को बचाने के काम में जुटे हुए हैं.
दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य कर्नाटक का कोडागु जिला भी बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है. कोडागु जिले में करीब 3,500 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है. सरकार ने रविवार को कहा कि लगातार बारिश से राहत कार्यो में बाधा आ रही है. कर्नाटक के सीएम मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा, "सेना, नौसेना और अन्य राज्य व केंद्रीय एजेंसियों ने अभी तक 3,500 से ज्यादा लोगों को बचाया है." इस बाढ़ग्रस्त पहाड़ी जिले में सैकड़ों लोग फंसे हुए हैं.
केरल में बारिश से राहत मौसम विभाग ने कहा कि अच्छी खबर यह है कि पिछले दो दिनों में केरल में बारिश की तीव्रता कम हुई है. इसने कहा कि राज्य में अगले चार दिनों तक भारी बारिश का अनुमान नहीं है.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हमारी सबसे बड़ी चिंता लोगों की जान बचाने की थी. लगता है कि इस दिशा में काम हुआ." केरल में आखिरकार बाढ़ के सबसे विनाशकारी दौर समाप्त होने के संकेत मिले और कई शहरों और गांवों में जलस्तर में कमी आई. मुख्यमंत्री ने कहा, "शायद यह अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी है, जिससे भारी तबाही मची है. इसलिए हम सभी प्रकार की मदद स्वीकार करेंगे." उन्होंने बताया कि 1924 के बाद प्रदेश में बाढ़ की ऐसी त्रासदी नहीं आई.
विजयन ने कहा कि बचाव कार्य का अंतिम चरण जारी है. कई व्हाट्सएप ग्रुप पर मदद की मांग की जा रही है, खासतौर से अलप्पुझा से मदद मांगी जा रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में फंसे 22,034 लोगों को बचाया गया है.
केरल में 29 मई को आई पहली बाढ़ के बाद से लोगों की मौत का सिलसिला जारी है. 29 मई को राज्य में दक्षिण पश्चिम मॉनसून के आने के बाद से अब तब करीब 400 लोगों की जान जा चुकी है. बारिश के कारण 80 से ज्यादा बांधों को खोलना पड़ा जिससे बाढ़ आ गई जबकि बारिश से भूस्खलन भी हुआ.
बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित अलाप्पुझा, एर्नाकुलम और त्रिशूर में बचाव कार्य जारी है. अधिकारियों ने इन तीन जिलों में जारी किए गए रेड अलर्ट को वापस ले लिया है. सर्वाधिक प्रभावित स्थानों जहां लोग पिछले तीन दिनों से भोजन या पानी के बिना फंसे हुए हैं, उनमें चेंगन्नूर, पांडलम, तिरुवल्ला और पथानामथिट्टा जिले के कई इलाके, एर्नाकुलम में अलुवा, अंगमाली और पारावुर में शामिल हैं.
अलाप्पुझा में बचाव कार्य में मदद के लिए आए फंसे मछुआरों के एक समूह ने अधिकारियों के बीच समन्वय की कमी होने की शिकायत की. समूह ने कहा, "हमने कई लोगों को बचाया लेकिन अब हम जहां से अपनी नाव से आए थे, वहां लौटने में हमारी मदद करने के लिए कोई नहीं है. हमने बचाव कार्यो में अपने जीवन को खतरे में डाल दिया लेकिन अब हमारी मदद के लिए कोई नहीं है."
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर दी गई 500 करोड़ रुपये की मदद बहुत कम है. उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री को इस संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करना चाहिए." केरल सरकार ने बाढ़ से कुल 19,500 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान लगाया है.
लोगों को प्राथमिक जरूरतों का सामान नहीं मिल रहा है. हालांकि सरकार लगातार पहुंचाने की कोशिश कर रही है. राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) ने अपनी समीक्षा बैठक में निर्देश दिया कि अब ध्यान खाद्य पदार्थों, पानी, दवाओं की आपूर्ति पर होना चाहिए और बिजली, ईंधन, दूरसंचार और परिवहन सेवाओं की बहाली पर होनी चाहिए क्योंकि केरल में बाढ़ का पानी कम हो रहा है. एनसीएमसी की बैठक के बाद एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि खाद्य और जन वितरण विभाग ने तुरंत जरूरतों को पूरा करने के लिए 50 हजार मीट्रिक टन अनाज उपलब्ध कराया है.
उपभोक्ता मामलों के विभाग ने सौ मीट्रिक टन दाल को हवाई मार्ग से पहुंचाने की व्यवस्था की है और अतिरिक्त दाल रेलगाड़ी से भेजी जाएगी. पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने केरल के लिए 9300 किलोलीटर किरासन तेल उपलब्ध कराया है. 12 हजार किलोलीटर अतिरिक्त किरासन तेल आवंटित किए जाएगा. कोच्चि में एलपीजी बोटलिंग संयंत्र को खोल दिया गया है.
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय सोमवार को 60 टन आपातकालीन दवाएं भेजेगा. रेलवे चादरें और कंबल मुहैया कराएगा वहीं एयर इंडिया ने राहत सामग्री नि:शुल्क पहुंचाने की पेशकश की है. केंद्र सरकार ने बाढ़ में मारे गए लोगों के परिजन को दो लाख रुपये और जख्मी लोगों को 50 हजार रुपये मुआवजा देने का निर्णय किया है. प्रधानमंत्री राहत कोष से मुआवजा दिया जाएगा.