Kerala Covid Cases: केरल में बढ़े क़ोरोना मामलों के लेकर केंद्रीय टीम की रिपोर्ट सामने आयी है. सूत्रों के मुताबिक़, कोरोना के मामले केरल में बढ़ने की वजह सरकार और प्रशासन की घोर लापरवाही है. सेंट्रल टीम ने केरल के विभिन्न इलाक़ों में दौरे के दौरान पाया कि टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट का पालन कड़ाई से नहीं किया जा रहा है.


सूत्रों के मुताबिक़ कोरोना के मामले का पता लगाना मुख्य रूप से उन लोगों की टेस्टिंग के ज़रिए होता है जो कोविड जैसी बीमारी के लक्षण की शिकायत करते हैं. अधिकांश जिलों में ऐसे मामलों का पता लगाने के लिए कोई सक्रिय निगरानी नहीं है.


कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बेहद कम है. उदाहरण के लिए मल्लापुरम में केस कॉन्टैक्ट रेशियो 1:1.15. इस जिले में औसत परिवार का आकार 5 से ऊपर है, जिसका अर्थ है कि प्राथमिक संपर्क भी छूट रहे हैं. ट्रेसिंग की कमी के परिणामस्वरूप समुदाय में गंभीर लक्षण वाले और हल्के लक्षण वाले व्यक्तियों के समूह का का पता नहीं चलता है.


मामलों के बढ़ने के बावजूद, सप्ताह के औसत दैनिक टेस्टिंग मामलों में कमी दर्ज की गयी है. साथ ही कई जिलों में आरटी-पीसीआर जांच का पर्याप्त मात्रा में उपयोग नहीं हो रहा है. कई जिलों में आरटी-पीसीआर/आरएटी अनुपात 20:80 है.


सेंट्रल टीम को बताया गया कि सुविधा आधारित आइसोलेशन की कमी है. इससे परिवारों के भीतर संक्रमण के प्रसार को बढ़ाया है. सेंट्रल टीम ने यह दौरे के दौरान देखा गया कि बड़े संयुक्त परिवारों के ज्यादातर सदस्य पॉजिटिव हैं.


साथ ही कंटेनमेंट और माइक्रो-कंटेनमेंट जोन भारत सरकार के स्थापित दिशा-निर्देशों के अनुसार नहीं बनाए गए हैं. ज्यादातर मामलों में आसपास के बफर जोन भी नहीं हैं. संक्रमण वाले इलाक़ों में घेराबंदी बहुत सख्त नहीं है. सेंट्रल टीम की रिपोर्ट के बाद साफ़ है कि कोरोना के नियंत्रण के लिए जो कदम उठाए जाने चाहिए थे वे नाकाफ़ी हैं और इसलिए केरल में कोरोना के मामलों में भारी इज़ाफ़ा हुआ है.


Covid Death Data: दूसरी लहर के दौरान अप्रैल-मई में कितने लोगों ने गंवाई जान? सरकारी आंकड़ों में दिख रहा है अंतर