नई दिल्ली: देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विरोध जारी है. लोगों के विरोध के साथ ही कई राज्य भी केंद्र सरकार से टकराने के मूड में आ गई हैं. केरल, बंगाल ने एनपीआर की कार्रवाइयों में सहभागी बनने से इंकार कर दिया है. द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (आरजीआई) को केरल और बंगाल की सरकारों की तरफ से चिट्ठी मिली है. चिट्ठी में एनपीआर की कार्रवाइयों को नागरिकों के लिए नुकसानदेह बताते हुए स्थगित करने की मांग की गई है.

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केरल, बंगाल के असमर्थता जताने पर गृह मंत्रालय दुविधा में 

केरल, बंगाल की चिट्ठी के बाद अब गृह मंत्रालय बहुत दुविधा में फंस गया है. उसका कहना है कि राज्यों की सरकारों का एनपीआर की कार्रवाइयों का हिस्सा नहीं बनने पर केंद्र सरकार का क्या रुख रहेगा. ये भी साफ नहीं है कि आरजीआई की तरफ से जिस सूचना की मांग की गई है उसे ऐच्छिक बनाया गया या नहीं. हालांकि नागरिकता नियम 2003 के तहत घर के मुखिया को सही सूचना नहीं देने पर सजा का प्रावधान था. उसकी दी हुई सूचना गलत पाये जाने पर एक हजार रुपये का जुर्माना था. यहां तक कि 2010 में भी एनपीआर फॉर्म में सजा के बारे में लिखा गया था.

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31 मार्च तक नये एनपीआर फॉर्म में हो सकता है बदलाव

मगर 2020 के एनपीआर फॉर्म में इस तरह की चेतावनी को हटा दिया गिया है. साथ ही इस बार एनपीआर की कार्रवाई के पहले चरण में कुछ नये सवालों से भी लोगों का सामना होगा. नये एनपीआर फॉर्म में लोगों से आधार नंबर, मोबाइल नंबर, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, वोटर आईडी नंबर, मातृभाषा, माता-पिता के जन्म की तिथि और जगह के बारे में पूछा गया है. फाइनल एनपीआर के फॉर्म में पैन नंबर के सवाल को हटा दिया गया है. इसका मतलब ये हुआ कि 31 मार्च तक नये एनपीआर फॉर्म में किसी भी सवाल को हटाया या जोड़ा जा सकता है.

गृह मंत्रालय के सूत्र का कहना है कि हमें राज्य सरकार की मंशा पर यकीन करने का कोई तर्क समझ नहीं आ रहा है. सभी सरकारें जनगणना के संचालन के इरादे को अधिसूचित कर चुकी हैं. यहां तक कि केरल और बंगाल की सरकारों ने भी एनपीआर के पहले चरण के लिए जनगणना अधिकारियों को अधिसूचित कर दिया है.  इससे पहले राज्य सरकारें एनपीआर की कार्रवाइयों में शामिल हो चुकी हैं. बंगाल ने तो एनपीआर का डाटा राशन कार्ड में इस्तेमाल किया है.

आपको बता दें कि एनपीआर के पहले चरण में मकान और उसमें रहनेवाले लोगों को चिन्हित किया जाना है. घर के मुखिया के दिये जवाब के आधार पर भारत की जनगणना तैयार होगी. यही डाटा राज्य सरकारों के लिए भी काफी अहम होगा.