नई दिल्ली: "टुकड़े टुकड़े गैंग" कैसे और कब बना. इसे किसने बनाया. अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) के तहत इसे प्रतिबंधित क्यों नहीं किया गया है? इसके सदस्य कौन हैं?  एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक एक आरटीआई याचिका में गृह मंत्रालय के अधिकारियों से यही सवाल पूछे गए हैं, जिसका जवाब मंत्रालय अब तक नहीं दे पाया है.

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नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारियों ने कहा कि 'टुकड़े टुकड़े गैंग' (टीटीजी) शब्द का किसी भी इंटेलीजेंस या कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा उल्लेख नहीं किया गया है. अधिकारियों का कहना है कि इस शब्द का इस्तेमाल 2016 में जेएनयू के कुछ छात्रों के लिए किया गया था जो राष्ट्र विरोधी नारे लगा रहे थे. लेकिन वो किसी गैंग या ग्रुप के सदस्य नहीं थे. ना ही किसी इंटेलीजेंस या कानून प्रवर्तन एजेंसियों की ओर से अपनी किसी भी रिपोर्ट में ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ जैसा कोई उल्लेख किया गया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह जैसे बड़े नेताओं ने विपक्ष पर हमला करने के लिए अपने भाषणों के दौरान कई बार इस शब्द का इसेतमाल किया है. अमित शाह ने पिछले महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि दिल्ली के लोगों को दिल्ली में हिंसा के लिए "टुकड़े टुकड़े गैंग को दंडित करना चाहिए."

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हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर से जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में स्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, “मैं निश्चित रूप से आपको बता सकता हूं कि जब मैं जेएनयू में पढ़ता था, हमनें वहां कोई ‘टुकड़े-टुकड़े’ गैंग नहीं देखा. जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा के बाद वहां के पूर्व छात्र रहे एस जयशंकर ने फौरन इस घटना की निंदा करते हुए कहा था कि यह पूरी तरह से यूनिवर्सिटी की परंपरा और संस्कृति के खिलाफ है.

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