नई दिल्लीः जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक दुष्कर्म और उसकी हत्या के सनसनीखेज मामले में पठानकोट की विशेष अदालत कल फैसला सुना सकती है. फैसला सुबह 10 बजे के करीब आ सकता है. इस मामले में एक ग्राम प्रधान समेत आठ आरोपी हैं.


आरोपियों के खिलाफ पंद्रह पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई थी. इसके मुताबिक पिछले साल 10 जनवरी को अगवा की गयी बंजारा समुदाय की आठ साल की बच्ची को कठुआ जिले के एक छोटे से गांव के मंदिर में कथित तौर पर बंधक बनाकर उसके साथ बलात्कार किया गया. उसे चार दिन तक बेहोश रखा गया और बाद में उसकी हत्या कर दी गयी. कुल आठ आरोपियों पर केस दायर किया था.


देश को स्तब्ध कर देने वाले इस मामले में बंद कमरे में सुनवाई तीन जून को पूरी हुई. तब जिला और सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह ने घोषणा की थी कि 10 जून को फैसला सुनाया जा सकता है. अधिकारियों ने रविवार को कहा कि कठुआ में फैसला सुनाये जाने के मद्देनजर अदालत और उसके आसपास कड़े सुरक्षा बंदोबस्त किये गये हैं. उन्होंने कहा कि हालात पर करीब से नजर रखी जाएगी.

क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ग्राम प्रधान सांजी राम, उसके बेटे विशाल, किशोर भतीजे और उसके दोस्त आनंद दत्ता को गिरफ्तार किया था. इस मामले में दो विशेष पुलिस अधिकारियों दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा को भी गिरफ्तार किया गया. सांजी राम से कथित तौर पर चार लाख रुपये लेने और महत्वपूर्ण सबूतों को नष्ट करने के मामले में हेड कांस्टेबल तिलक राज और एसआई आनंद दत्ता को भी गिरफ्तार किया गया.


जिला और सत्र जज ने आठ आरोपियों में से सात के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या के आरोप तय किये हैं. किशोर आरोपी के खिलाफ मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है और उसकी उम्र संबंधी याचिका पर जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट सुनवाई करेगा.


मामले में रोजाना आधार पर सुनवाई पड़ोसी राज्य पंजाब के पठानकोट में जिला और सत्र अदालत में पिछले साल जून के पहले हफ्ते में शुरू हुई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर भेजने का आदेश दिया था जिसके बाद जम्मू से करीब 100 किलोमीटर और कठुआ से 30 किलोमीटर दूर पठानकोट की अदालत में मामले को भेजा गया. सुप्रीम कोर्ट का आदेश तब आया जब कठुआ में वकीलों ने अपराध शाखा के अधिकारियों को इस सनसनीखेज मामले में आरोपपत्र दाखिल करने से रोका था. इस मामले में अभियोजन दल में जे के चोपड़ा, एस एस बसरा और हरमिंदर सिंह शामिल थे.


इस मामले ने बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया था और इसमें बीजेपी के दो मंत्रियों (चौधरी लाल सिंह, पूर्व वन मंत्री और चंद्र प्रकाश गंगा, पूर्व उद्योग मंत्री) को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा था. मामले की सुनवाई पठानकोट की जिला और सत्र अदालत में चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को जम्मू कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था. इससे पहले कठुआ के वकीलों ने क्राइम ब्रांच के अधिकारियों को मामले में चार्जशीट दाखिल करने से रोका था.


इस मामले ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया था. अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो कम से कम उम्रकैद और अधिकतम मौत की सजा सुनाई जा सकती है.


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