नई दिल्ली: करतारपुर गलियारे के उद्घाटन के ऐन पहले पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री इमरान खान के बयान से उपजे भ्रम को ढंकने की कोशिश में नई रियायतों का ऐलान किया है. पाक ने गुरुनानक देव की 550वें जयंती वर्ष का हवाला देते हुए करतारपुर गलियारे के रास्ते आने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक साल तक पासपोर्ट की अनिवार्यता खत्म कर दी है. हालांकि पाकिस्तान के इस पैंतरे को खारिज करते हुए भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों मुल्कों के बीच हुई सहमति के मुताबिक इस यात्रा के लिए पासपोर्ट तब तक अनिवार्य बना रहेगा जबतक आपसी सहमति से राजीनामें में बदलाव नहीं होता.


दरअसल, इस भ्रम की शुरुआत पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के 1 नवंबर को किए उस ट्वीट से हुई जिसमें उन्होंने करतारपुर गलियारे से यात्रा करने वाले सिखों के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता खत्म करने की बात कही थी. हालांकि इसके पांच दिन बाद भी पाकिस्तान की तरफ से तय समझौते में न कोई बदलाव का प्रस्ताव आया और न भारत सरकार को आधिकारिक तौर पर कोई खबर भेजी गई. यह भ्रम तब और बढ़ गया जब 7 नवंबर की सुबह पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा कि भारत से करतारपुर साहिब आने वाले यात्रियों के लिए पासपोर्ट की अनिवार्यता बनी रहेगी. इस बयान को अभी कुछ ही घंटे बीते थे कि पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय प्रवक्ता डॉ फैसल महमूद ने एक और बयान देते हुए कहा कि पाक सरकार ने गुरुनानक देव के 550वें वर्ष की खातिर तीन विशेष रियायतें देने का फैसला किया है. पाक ने यात्रियों के पासपोर्ट की अनिवार्यता एक साल तक खत्म करने, यात्री सूची देने के लिए 10 दिन की शर्त के साथ ही 9 और 12 नवम्बर को 20 डॉलर की यात्रा फीस में भी छूट देने का ऐलान किया.


हालांकि पाक की तरफ आए इन विरोधाभासी बयानों पर सवाल उठाते हैं भारत के विदेश मंत्रालय प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि इस तरह की बातों से पाकिस्तान की नीयत पर हमें शक होता है. अगर पाक को इन प्रावधानों में रियायत देनी थी तो फिर इसे कुछ दिन पहले हुए समझौते का हिस्सा बनवाया जा सकता था. यदि पाकिस्तान इन नियमों में बदलाव चाहता है तो समझौते में आपसी सहमति से बदलाव किए जा सकते है. लेकिन ऐसे मामलों में एकतरफा संशोधन ठीक नहीं है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत समझौते के मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक पासपोर्ट को ही यात्रा दस्तावेज़ के तौर पर स्वीकार करेगा.


इस बीच 9 नवम्बर को करतारपुर गलियारे के उद्घाटन के बाद रवाना होने वाले पहले जत्थे के लिए सीमा पर इंतज़ामों पर भी भारत में संशय है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत ने गुरुवार को एक बार पुनः पहले जत्थे में जाने वाले वीआईपी लोगों के सुरक्षा और प्रोटोकॉल से लेकर मेडिकल सुविधाओं पर पाक से स्पष्टीकरण मांगा था. मगर इस बारे में कोई ठोस जानकारी पाक की तरफ से साझा नहीं की गई. भारतीय खेमे की चिंता इस बात को लेकर है कि पहले जत्थे में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी व हरसिमरत कौर के अलावा कई विदेशी मेहमान भी जा रहे हैं.


विदेश मंत्रालय प्रवक्ता के मुताबिक तय समझौते के मुताबिक पाकिस्तान को यात्रा से 4 दिन पहले भेजी गई सूची पर अपनी सहमति साझा करने का प्रावधान है. लेकिन करतारपुर गलियारे के उद्घाटन में अब दो दिन बचे हैं और अभी तके पाक ने 9 नवम्बर को जाने वाले पहले आधिकारिक जत्थे पर मंजूरी की कोई सूचना नहीं दी है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, चुप्पी को पाकिस्तान की अनापत्ति मानते हुए सभी लोगों को यात्रा की तैयारी करने को कहा गया है.


गौरतलब है कि 9 नवम्बर को पीएम भारत की तरफ से करतारपुर गलियारे के लिए तैयार पैसेंजर टर्मिनल बिल्डिंग का उद्घाटन कर पहले जत्थे को रवाना करेंगे. यह जत्था पाकिस्तान की तरफ होने वाले उदघाटन समारोह में भी शरीक होगा. निर्धारित प्रक्रिया के मुताबिक करतारपुर गलियारे से जाने वाले सभी श्रद्धालु उसी दिन लौट आएंगे. आम लोगों के लिए करतारपुर गलियारा 10 नवम्बर से शुरू होगा. वहीं 12 नवम्बर को गुरुनानक देव के पहले प्रकाश पर्व के लिए सरहद के दोनों तरफ विशेष इंतज़ाम किए गए हैं.