Karnataka Politics: कांग्रेस ने तीन दिनों के मंथन के बाद कर्नाटक की कमान सिद्धारमैया को देने को फैसला किया. इसी के साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम पद के साथ संतोष करना पड़ा. इस बीच सूत्रों ने बताया कि पहले जी परमेश्वर और एमबी पाटिल को भी डीके शिवकुमार के साथ उप-मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयास लग रहे थे लेकिन शिवकुमार सीएम पद के लिए अड़े थे, ऐसे में कांग्रेस ने केवल एक उप-मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया.


सिद्धारमैया के नाम की घोषणा करते हुए पार्टी के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने भी कहा कि कर्नाटक में शिवकुमार एकमात्र उप-मुख्यमंत्री होंगे और अगले लोकसभा चुनाव तक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद पर भी बने रहेंगे. 


जी परमेश्वर और एमबी पाटिल नाराज क्यों है?
सूत्रों ने बताया कि उप-मुख्यमंत्री ना बनाए जाने से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जी परमेश्वर और एमबी पाटिल नाराज हैं. परमेश्वर ने कहा भी कि दलित वर्ग के किसी शख्स को डिप्टी सीएम नहीं बनाया जाता है तो ये पार्टी के लिए सही नहीं होगा और कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी. उन्होंने ये बात सिद्धारमैया को सीएम बनाने और डीके शिवकुमार को उप-मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा के कुछ घंटे बाद कही. हालांकि परमेश्वर और पाटिल का मंत्री बनना तय माना जा रहा है.


परमेश्वर ने हाल ही में सीएम पद की दावेदारी भी की थी. उन्होंने मंगलवार (16 मई) को कहा था कि यदि पार्टी आलाकमान उनसे मुख्यमंत्री बनने को कहती है तो वह इसके लिए तैयार हैं. 


कई बैठक के बाद नाम हुआ तय
कर्नाटक की 224 सीटों के लिए 10 मई को हुए चुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत हासिल करते हुए 135 सीटें अपने नाम कीं, जबकि बीजेपी 66 और पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की जेडीएस 19 सीटों पर सिमट गई थी.  कांग्रेस की जीत के बाद बेंगलुरु के एक होटल में हुई बैठक में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया गया कि अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को विधायक दल का नेता चुनने का अधिकार दिया गया था.


इसके बाद डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया ने खरगे से अलग-अलग मुलाकात की थी. दोनों नेताओं ने बुधवार (17 मई) को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ अलग अलग बात की थी. फिर बुधवार रात शिवकुमार ने रणदीप सुरजेवाला के आवास पर मुलाकात की और इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के आवास पर कांग्रेस के संगठन महासचिव वेणुगोपाल और सुरजेवाला ने उनसे चर्चा की. वेणुगोपाल के आवास पर फिर से विचार विमर्श का दौर चला. इतने मंथन के बाद आखिर में  सिद्धारमैया को सीएम बनाने का फैसला किया गया. 


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