बेंगलुरू: बीएस येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. राज्य में कई महीनों से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें थीं. अपनी सरकार के दो सालों को उन्होंने ‘अग्नि परीक्षा’ करार दिया. येदियुरप्पा ने कहा कि उन्हें शुरुआती दिनों में मंत्रिमंडल के बिना प्रशासन चलाना पड़ा और इसके बाद राज्य को विनाशकारी बाढ़ और कोरोना वायरस समेत कई समस्याएं झेलनी पड़ीं. येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद अब उनके समर्थकों में नाराजगी है. सूत्रों के मुताबिक, राज्य का अगला मुख्यमंत्री लिंगायत समाज से ही हो सकता है.


क्यों लिंगायतों को नाराज नहीं करना चाहती बीजेपी?


कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की आबादी करीब 17 फीसदी है. लिंगायत समुदाय की कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 90-100 सीटों पर निर्णायक भूमिका रही थी. जाहिर है ऐसे में बीजेपी लिंगायतों को नाराज नहीं करना चाहती. हालांकि अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और कर्नाटक के प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि निर्णय पार्टी के संसदीय बोर्ड और विधायक दल पर छोड़ दिया गया है.


इन चेहरों पर चल रही है चर्चा


येदियुरप्पा के संभावित उत्तराधिकारी के रूप में जिन नामों की चर्चा चल रही है, उनमें केंद्रीय मंत्री प्रह्ललाद जोशी, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सी टी रवि, राष्ट्रीय आयोजन सचिव बी एल संतोष और राज्य विधानसभा अध्यक्ष विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी शामिल हैं. गृह मंत्री बसवराज एस बोम्मई, राजस्व मंत्री आर अशोक और उपमुख्यमंत्री सीएन अश्वथ नारायण के नाम भी चर्चा में हैं.


सत्ता परिवर्तन को लेकर विपक्ष ने बीजेपी को घेरा


इस बीच, विपक्षी कांग्रेस ने कर्नाटक में मुख्यमंत्री येदियुरप्पा के लिए एक विकल्प खोजने के बजाय राज्य में भाजपा सरकार बीजेपी को हटाने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘‘अगर एक भ्रष्ट मुख्यमंत्री को हटाकर दूसरे को मुख्यमंत्री बनाया जाए तो आम आदमी को कोई फायदा नहीं होगा.’’ पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा में विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि इसके बजाय पूरी बीजेपी पार्टी, जो लोगों की परेशानियों के लिए जिम्मेदार है, को हटा दिया जाना चाहिए.’’


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