नई दिल्लीः कर्नाटक में चल रहा राजनीतिक नाटक खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. गुरुवार को विधानसभा में विश्वास मत पर बहस शुरू हुई जो आज भी जारी है. कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला ने विश्वास मत प्राप्त करने के लिए दूसरी समयसीमा जारी की है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को चिट्ठी भेजकर कहा है कि उन्हें शाम 6 बजे से पहले विधानसभा में बहुमत साबित करना होगा.


1 घंटे पहले खबर आई थी कि बीजेपी का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मुलाकात करेगा और बहुमत परीक्षण समयसीमा में नहीं पूरा करने की शिकायत करेगा. दरअसल कल यानी गुरुवार को राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कर आज डेढ़ बजे तक बहुमत परीक्षण कराने को कहा था जो कि अभी तक नहीं हो पाया है.



इससे पहले खबर आई थी कि राज्यपाल वजूभाई वाला केंद्र सरकार को राज्य के हालात पर रिपोर्ट भेजेंगे और ये रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेजी जाएगी. देश की राजनीति में एक दिलचस्प तस्वीर तब देखने को मिली जब फ्लोर टेस्ट की वोटिंग की मांग करते हुए भारतीय जनता पार्टी के नेता विधानसभा में ही रुके, नेताओं का डिनर और सोना सदन में ही हुआ.


आज कर्नाटक विधानसभा की कार्यवाही के दौरान विधानसभा स्पीकर रमेश कुमार ने कहा कि जो लोग मुझपर सवाल खड़े कर रहे हैं, उन्हें ये ध्यान में रखना चाहिए कि वह निष्पक्ष होकर इस मामले में निर्णय ले सकते हैं.


आज इस मामले में और क्या-क्या हुआ
कर्नाटक कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसके 17 जुलाई के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का पार्टी का अधिकार जोखिम में पड़ गया है. कर्नाटक कांग्रस के अध्यक्ष दिनेश गुन्डू राव ने याचिका में दावा किया कि शीर्ष अदालत के आदेश से अपने विधायकों को व्हिप जारी करने का राजनीतिक दल का अधिकार कमजोर हुआ है. कर्नाटक कांग्रेस ने न्यायालय के इस आदेश पर स्पष्टीकरण देने का अनुरोध किया कि बागी विधायकों को विधान सभा की कार्यवाही में हिस्सा लेने के लिये बाध्य नहीं किया जायेगा. इसके बाद कांग्रेस ने कोर्ट से कहा कि राजनीतिक दलों को व्हिप जारी करने का अधिकार है ओर न्यायालय इसे सीमित नहीं कर सकता है.


कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुन्डु राव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और 15 बागी विधायकों को सदन में जाने के लिए बाध्य न करने के आदेश पर स्पष्टीकरण मांगा है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश संविधान के 10वें शेड्यूल के खिलाफ है. इस शेड्यूल में राजनीतिक पार्टी को व्हिप जारी करने का अधिकार दिया गया है. कोर्ट का आदेश उसके कुछ पुराने फैसलों के भी उलट है.