नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग आज तारीखों का ऐलान कर सकता है. चुनाव आयोग ने आज सुबह 11 बजे प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है, इस दौरान तारीखों की घोषणा की जा सकती है. 224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा का पांच साल का कार्यकाल 28 मई को पूरा हो रहा है. राज्य में 122 सीट जीतकर कांग्रेस सत्ता में है.


कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही सभी राजनीतिक दल जोर-शोर से प्रचार में जुटी है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह दो दिवसीय कर्नाटक दौरे पर हैं. जबकि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कई चरणों में राज्य का दौरा कर चुके हैं. कांग्रेस को उम्मीद है कि लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करेगी. कांग्रेस ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाया है. वहीं बीजेपी पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदुरप्पा को मैदान में उतारकर कांग्रेस को कड़ी चुनौती देने की कोशिश में है.


राज्य में फिलहाल कांग्रेस के 122, बीजेपी के 43, जेडीएस के 34, बीएसआरसी के तीन, केजेपी के 2, केएमपी के एक और निर्दलीय 8 विधायक हैं.


2014 के नतीजे


2014 के लोकसभा में कर्नाटक में भी मोदी लहर दिखी थी. तब बीजेपी ने सूबे की 28 लोकसभा सीटों में 17 पर जीत दर्ज की थी. राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस को महज़ 9 सीटों पर समेट दिया था. जेडीएस 2 सीटें ही जीत पाई थी. वोट शेयर के मामले में भी बीजेपी ने 43.4% वोट पाए थे, जबकि कांग्रेस की झोली में 41.2% वोट गए थे. जेडीएस 11.1% वोट ले पाई थी.


किसका कितना दबदबा


इस बार के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में लिंगायत समुदाय सबसे ज्यादा चर्चा में है. ऐसा माना जाता है कि दलितों के बाद लिंगायत सबसे बड़ा जातीय समूह है. करीब 17 फीसदी आबादी लिंगायत की है. कांग्रेस ने लिंगायत को अपनी झोली में लाने के लिए अपना कार्ड भी खेल दिया है. लिंगायत की दशकों पुरानी मांग को मानते हुए उसे अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश कर दी. इसके साथ ही कर्नाटक के चुनाव में मुस्लिम और वोक्कालिगा समुदाय भी खासे असरदार हैं.


क्यों है अहम?


दरअसल, जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के दिन करीब आ रहे हैं. चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. कर्नाटक विधानसभा का चुनाव लोकसभा के चुनाव के पहले दूसरा आखिरी बड़ा चुनाव है. इसलिए इसे खासा महत्व दिया जा रहा है. इस चुनाव के नतीजे लोकसभा के चुनावों पर खासा असर डालेंगे.