Khushi Dubey Bail: बिकरू कांड के आरोपी विकास दुबे के भतीजे अमर दुबे की पत्नी खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. खुशी पर आरोप है कि वो बिकरू में पुलिसवालों की हत्या की साजिश में शामिल थी. हालांकि तमाम विपक्षी दल पिछले लंबे समय से आरोप लगा रहे थे कि यूपी सरकार दुबे परिवार की महिलाओं का उत्पीड़न कर रही है और जानबूझकर उन्हें जेल में बंद किया गया है. अब सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद विपक्षी दलों के नेताओं की तरफ से खुशी जताई जा रही है.


अखिलेश बोले- अहंकार की हुई हार
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने खुशी दुबे की जमानत के बाद ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला. अखिलेश ने ट्विटर पर लिखा- "खुशी दुबे की जमानत ‘भाजपा के अन्याय और नारी उत्पीड़न’ के दुष्प्रयासों की करारी हार है. भाजपा याद रखे अंततः जीत न्याय की ही होती है, अहंकार की नहीं."


प्रियंका गांधी ने भी साधा निशाना
अखिलेश यादव के अलावा कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने भी खुशी को जमानत मिलने पर ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने कहा कि आज न्याय की जीत हुई है. प्रियंका ने लिखा, "कानपुर की खुशी दुबे को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई. भाजपा सरकार द्वारा अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए उसे जेल में डालना और महीनों तक प्रताड़ित करना अन्याय की पराकाष्ठा है. माननीय कोर्ट के इस फैसले से न्याय की जीत हुई है."


आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी खुशी दुबे की जमानत को लेकर ट्वीट किया. जिसमें उन्होंने लिखा, "लंबे संघर्ष के बाद न्याय की जीत हुई मा.सर्वोच्च न्यायालय ने ख़ुशी दूबे को ज़मानत दे दी. सत्यमेव-जयते."


क्या है पूरा मामला?
दरअसल 2 जुलाई 2020 की रात गैंगस्टर विकास दुबे की तलाश में पुलिस की एक टीम बिकरू गांव पहुंची थी, जहां पहले से घात लगाए विकास और उसके गुर्गों ने पुलिस टीम पर गोलियां बरसा दीं, इस घटना में कुल 8 पुलिसकर्मी मारे गए. घटना के बाद एनकाउंटर का सिलसिला शुरू हो गया और यूपी पुलिस ने विकास दुबे समेत 6 गैंगस्टर्स को मार गिराया. 


इस मामले के बाद गिरफ्तारियों का दौर भी शुरू हुआ, विकास दुबे के भतीजे और राइट हैंड कहे जाने वाले अमर दुबे की पत्नी को भी गिरफ्तार किया गया. जिसकी कुछ ही दिन पहले शादी हुई थी. खुशी पर आरोप है कि उसने विकास दुबे और बाकी गुर्गों की मदद की. घटना के वक्त खुशी नाबालिग थी. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि खुशी को जेल में रखने की जरूरत नहीं है. उसे कानपुर जाने से रोकने से मना किया गया है और हर हफ्ते स्थानीय थाने में हाजिरी लगाने की शर्त लगाई है. हालांकि यूपी सरकार की तरफ से जमानत का विरोध किया गया. 


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