Kandahar Hijack 1999: 31 दिसंबर 1999. पूरी दुनिया 20वीं सदी में प्रवेश का इंतजार कर रही थी, लेकिन भारत में सरकार से लेकर आम लोगों की धड़कनें किसी और वजह से ही बढ़ी हुई थीं. दरअसल, 24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस का एक प्लेन नेपाल से हाईजैक कर लिया गया था. 190 लोगों को 7 दिनों तक बंधक बनाए रखा गया और इनकी सुरक्षित रिहाई के बदले 3 खूंखार आतंकियों को बाइज्जत जेल से रिहाकर अफगानिस्तान लाने की मांग की गई.


आतंकी इंडियन एयरलाइंस की इस फ्लाइट को काठमांडू से अमृतसर लाए, फिर लाहौर के बाद अफगानिस्तान में कंधार ले गए. जहां पर मौलाना मसूद अजहर, उमर शेख, अहमद जरगर को छोड़ने की मांग की थी. आज ही के दिन यानी 31 दिसंबर को इन बंधकों की रिहाई हुई थी. तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह की लिखी किताब 'जिन्ना- भारत, विभाजन और स्वतंत्रता' में कंधार हाईजैक के मामले का भी जिक्र है. आइए जानते हैं कंधार हाईजैक से जुड़ा वो किस्सा, जिसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद का आया जिक्र...


जसवंत सिंह के सामने आया पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का नाम


कंधार हाईजैक को लेकर दुनियाभर की नजरें भारत पर लगी हुई थीं. देश-विदेश की मीडिया पल-पल की खबरें सामने ला रहा था. इसी दौरान 28 दिसंबर 1999 को तत्कालीन विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अचानक कंधार हाईजैक में बंधक बनाए गए लोगों के रिश्तेदार घुस आए. ये सभी लोग अचानक चिल्लाने लगे कि 'जब मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी के लिए आतंकवादियों को छोड़ा जा सकता है, तो हमारे अपनों के लिए क्यों नहीं? जिसे भी छोड़ना पड़े, छोड़ो, हमें फर्क नहीं पड़ता.'


क्या था मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का मामला?


8 दिसंबर 1989 को वीपी सिंह की सरकार में देश के गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण कर लिया गया. आतंकियों ने रुबैया सईद की रिहाई के लिए हामिद शेख, शेर खां, जावेद अहमद जरगर, नूर मोहम्मद कलवल और मौहम्मद अल्ताफ बट की रिहाई की मांग की थी. कहा जाता है कि मुफ्ती मोहम्मद सईद ने बेटी की रिहाई के लिए दबाव बनाया और जिसके बाद पांचों आतंकियों को छोड़ दिया गया.


कंधार हाईजैक में छोड़े गए आतंकी आज कहां हैं?


कंधार हाईजैक के बाद छोड़े गए आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद नाम का आतंकी संगठन बनाया. मसूद अजहर और उसके आतंकी संगठन ने भारत में संसद हमला, मुंबई हमला, पठानकोट एयरबेस हमला और पुलवामा हमले समेत कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया था. वहीं, उमर शेख उर्फ अहमद उमर सईद शेख को 2002 में एक विदेशी पत्रकार डेनियल पर्ल के अपहरण और हत्या के लिए सजा-ए-मौत दी गई थी. लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया गया. हालांकि, मामला अभी भी पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.


अहमद जरगर को भी कंधार हाईजैक के बाद छोड़ा गया था. बताया जाता है कि कश्मीर का रहने वाला अहमद जरगर अब पाकिस्तान में छिपा हुआ है. इतना ही नहीं, कश्मीर में होने वाले ज्यादातर हमलों के पीछे उसका ही हाथ रहता है. अहमद जरगर के खिलाफ सीआरपीएफ के जवानों पर होने वाले ग्रेनेड हमलों समेत कई हत्याओं के मुकदमे दर्ज हैं. 


क्या था कंधार हाईजैक?


इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी-814 को नेपाल के काठमांडू के एयरपोर्ट से हाईजैक कर लिया गया था. आतंकी फ्लाइट को अमृतसर, लाहौर और दुबई होते हुए कंधार, अफगानिस्तान ले गए. कंधार जाने से पहले प्लेन को दुबई में उतारा गया, यहां आतंकियों ने 27 बंधकों को छोड़ा. इनमें से एक रूपिन कात्याल भी थे, जिनकी आतंकियों ने हत्या कर दी थी. 


आतंकियों ने सभी बंधकों की रिहाई के लिए भारत सरकार से जेलों में बंद 35 उग्रवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की थी. हालांकि, बाद में ये आतंकी केवल तीन कैदियों को रिहा करने पर ही तैयार हो गए थे. भारत सरकार की कोशिशों के बाद अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट पर सभी बंधकों को रिहा कर दिया गया. 


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