चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) का पद संभालने के बाद अब जस्टिस बीआर गवई रिटायर हो गए हैं. नए सीजेआई सूर्यकांत पद संभाल चुके हैं. इस मौके पर जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी यात्रा पर खुलकर बात की. उन्होंने रिटायरमेंट के बाद राजनीति में आने की अटकलों पर भी खुलकर जवाब दिया. सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रहते हुए जस्टिस गवई 330 ज्यादा फैसलों में शामिल रहे हैं.
रिटायरमेंट के बाद जस्टिस गवई ने इंडिया टुडे को एक इंटरव्यू दिया. जब उनसे पूछा गया कि आपने कहा था कि आप रिटायरमेंट के बाद जॉब नहीं लेंगे तो क्या इस बात की संभावनाएं हैं कि आप राजनीति में आ सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि फिलहाल मैंने इसके बारे में नहीं सोचा है. मैं बस अभी शांति में हूं. मैंने अभी कुछ नहीं करने का फैसला किया है और यहीं मानता हूं कि आपको आज के हिसाब से जीना चाहिए.
'मैं कोई गवर्नर का पद स्वीकार नहीं करूंगा'उन्होंने कहा, 'जहां तक मुझे लगता है, मैं किसी भी ट्रिब्यूनल के प्रमुख का पद स्वीकार नहीं करूंगा. मैं कोई गवर्नर का पद स्वीकार नहीं करूंगा. मैं राज्यसभा में नॉमिनेटेड होना भी स्वीकार नहीं करूंगा. इस बारे में बहुत साफ हूं.'
सीजेआई सूर्यकांत ने पहले दिन सुने 17 मामलेभारत के चीफ जस्टिस के रूप में पहले दिन जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार (24 नवंबर) को एक नया प्रक्रियात्मक मानदंड स्थापित किया. उन्होंने कहा कि तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामलों का जिक्र लिखित रूप में किया जाना चाहिए. मृत्युदंड और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे मामलों में असाधारण परिस्थितियों में मौखिक अनुरोधों पर विचार किया जाएगा. सीजेआई सूर्यकांत की अगुवाई वाली पीठ ने पहले ही दिन लगभग 2 घंटे तक 17 मामलों की सुनवाई की.
बता दें कि इससे पहले पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने शीर्ष अदालत में मामलों को तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मौखिक प्रथा को रोक दिया था. हालांकि, न्यायमूर्ति खन्ना के बाद इस पद पर आए जस्टिस गवई ने इसे फिर से शुरू कर दिया था. आमतौर पर कई बार वकील चीफ जस्टिस के सामने मामलों का मौखिक रूप से जिक्र करते हैं, ताकि उन्हें तत्काल सूचीबद्ध किया जा सके.
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