1994-2017 तक नीतीश का सफर: कब-कब किस राजनीतिक 'आसन' में रहे
एबीपी न्यूज़ | 27 Jul 2017 11:23 AM (IST)
पटना: आपातकाल के दौर में बिहार के पटना यूनिवर्सिटी से बतौर छात्र लालू प्रसाद यादव के साथ ही राजनीति की शुरुआत करने वाले नीतीश कुमार अब छठी बार बिहार के सीएम बन गए हैं. केंद्रीय मंत्री रहे हैं. गठबंधन की राजनीति के माहिर नीतीश कुमार ने अपनी चाल से कभी मोदी को चित किया था, अब लालू को ऐसी पटखनी दी है कि वो अपने जख्म को सहला भी नहीं पा रहे हैं. जानें नीतीश के बीते 23 साल के सियासी सफर का लेखा-जोखा, जब उन्हें दूब की तरह दब-दब कर निकलने में कामयाब हुए. 1994 साल 1994 में नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद से अपने रास्ते अलग कर लिए. जॉर्ज फ़र्नान्डिस के साथ मिलकर समता पार्टी बनाई. 1995 के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरे, लेकिन लालू से ऐसी पटखनी पाई की राजनीति के रास्ते किसी रेगिस्तान में भटकते दिखे. तब नीतीश को किसी सहारे की तलाश थी. 1996 ये वो दौर था जब नीतीश की राजनीति अपनी नींव में खाद पानी की तलाश में थी. तभी सूबे की राजनीति में हाशिए की हैसियत रखने वाली बीजेपी का साथ मिला. दोनों का गठबंधन हुआ. और अगले 17 सालों तक चला. 2005-13 समता पार्टी अपने सफर के दौरान साल 2003 में जनता दल यूनाटेड (JDU) बन गई. लेकिन बीजेपी से गठबंधन मज़बूती के साथ जारी रहा. दोनों पार्टी ने 2005 से 2013 तक सूबे में गठबंधन सरकार चलाई, जिसका नेतृत्व नीतीश कुमार के जिम्मे रहा और सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री रहे. 2013गठबंधन धर्म निभाने में नीतीश के लिए जो सबसे ज्यादा मुश्किल घड़ी आई उसकी वजह नरेंद्र मोदी थे. जब बीजेपी ने मोदी को पीएम का कैंडिडेट घोषित किया तो सांप्रदायिकता के सवाल पर नीतीश ने बीजेपी से 17 साल पुराना नाता तोड़ लिया. लेकिन उनकी अल्पमत सरकार चलती रही. 2014 लोकसभा चुनाव में नीतीश की पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा. नीतीश ने चुनाव नतीजों के दूसरे दिन मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया. जीतन राम मांझी को सीएम की कमान सौंपी गई और 2015 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी गई. 2015 नीतीश के लिए बिहार में भी मोदी टक्कर लेना मुश्किल काम था. उधर लालू प्रसाद को भी 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिली थी. पिछले 18 सालों तक एक-दूसरे के खिलाफ राजनीति करने वाले लालू-नीतीश ने सांप्रदायिक ताकतों के हराने के नाम पर गठजोड़ का एलान किया. विधानसभा चुनाव हुए... गठबंधन को भारी जीत मिली. नीतीश सीएम और लालू के बेटे डिप्टी सीएम बने. 2017 नीतीश-लालू के 18 सालों की दुश्मनी का असर बिहार के गठबंधन सरकार के बीते 20 महीने के सफर पर साफ दिख रहा था. आखिर 26 जुलाई को गठबंधन अपने स्वभाविक नतीजे पर पहुंच गई. और 15 घंटे के भीतर ही नीतीश दोबारा सत्ता में हैं और बीते 17 साल के पुराने दोस्त चार साल बाद एक बार फिर साथ हैं.'