Joshimath Sinking: सदी के सबसे बड़े खतरे का सामना कर रहे जोशीमठ से आखिरकार कोई राहत पहुंचाने वाली खबर आई है. आधिकारिक सर्वे (Joshimath Survey) में पता चला है कि जोशीमठ कस्बे में 20 जनवरी के बाद से भूधंसाव के चलते कोई नई दरार नहीं आई है. चमोली जिला प्रशासन ने शनिवार को इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.


शनिवार को प्रशासन की तरफ से जारी आंकड़ों को मुताबिक 863 घरों में दरारें पाई गई हैं जिनमें से 181 अत्यधिक खतरे वाली स्थिति में हैं. 20 जनवरी को भी आंकड़ों में यही संख्या थी, और उसके बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है.


चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने जानकारी देते हुए बताया, "हमारा सर्वे पूरा हो चुका है. हम आंकड़ों का मिलान कर रहे हैं. अगर कोई बदलाव होगा भी तो वह मामूली होगा."


आंकड़ों पर सवाल
जोशीमठ में भूधंसाव के मुद्दे को लेकर सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाले सामाजिक संगठन, जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने सरकारी डाटा को गलत बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि समिति को लगभग रोजाना घरों में दरारें मिलने की सूचना मिलती है. उन्होंने यह भी कहा कि जोशीमठ पर आए संकट पर राज्य सरकार केवल कागजी कार्रवाई कर रही है.


सती ने कहा, “वे धारणा बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि यहां सब ठीक है. इससे पहले, वे जोशीमठ संकट पर तकनीकी एजेंसियों की रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं करते थे.” उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री का यह कहना हास्यास्पद है कि 65-70 प्रतिशत स्थानीय लोग सामान्य जीवन जी रहे हैं. उनके लापरवाह रवैये के चलते कस्बे के लोग पीड़ित हैं. उन्होंने सरकार पर चीजों को छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि अगर उन्होंने इसे कम आंकने या छिपाने की कोशिश के बजाय स्वीकार किया होता तो यह स्थिति कभी नहीं आती.


लोगों ने निकाली रैली
सती कहा 20 जनवरी को और बाद के दिनों में भी शहर में बर्फबारी और बारिश हुई. उन्होंने पूछा अगर जोशीमठ में सब ठीक है, तो कल शहर और आस-पास के गांवों के हजारों लोग सड़कों पर क्यों उतरे?


जोशीमठ संकट से प्रभावित परिवारों को अपर्याप्त मुआवजा दिए जाने से नाराज स्थानीय निवासियों ने शुक्रवार को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले एक रैली निकाली थी.


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