Joshimath Land Sinking: उत्तराखंड के जोशीमठ में हालात हर पल बिगड़ रहे हैं. प्रशासन स्थिति को नियंत्रण करने की भरपूर कोशिश कर रहा है. जमीन धंसने और दरारें पड़ने के कारण इमारतों को खाली करने की प्रक्रिया चल रही है. असुरक्षित और खतरनाक इमारतों की पहचान भी कर ली है, अब उन्हें तोड़ने का काम शुरू हो चुका है. जिन लोगों के घरों पर बुलडोजर चलना है उनकी आंखों में आंसू हैं. 


उनका कहना है कि उन्होंने घर को बनाने में अपनी पूरी जिंदगी की कमाई लगा दी है और अब अपनी आंखों के सामने घर को टूटता नहीं देख सकते. लोगों को चिंता है कि आने वाला वक्त कैसा होगा? उनके और उनके परिवार का भविष्य क्या होगा? हालांकि, प्रशासन लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करने में लगा है. 


स्थानीय लोगों के आंखों में आंसू


पीड़ित व्यक्ति मनीष ने कहा, "हमारा बचपन यहीं बीता है. हमको अचानक घर खाली करने के लिए बोल रहे हैं. शासन-प्रशासन को परवाह नहीं है, अधिकारी हमारे पास आए और घर खाली करने के लिए बोल रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे परिवार में 7-8 लोग हैं. हमने पहले भी कई बार इसके बारे में सरकार को बताया था."


अब तक 82 परिवारों को रेस्क्यू किया गया


चमोली डीएम ने कहा, "जोशीमठ के 9 वार्डों में 600 से अधिक इमारतों में दरारें आ गई हैं और अब तक 82 परिवारों को रेस्क्यू किया गया है. उन्हें सुरक्षित स्थानों पर भी पहुंचा दिया गया है." डीएम ने कहा, "जोशीमठ को आपदा क्षेत्र घोषित किया है. इसी के साथ जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है."


स्थानांतरण का कार्य जारी- DGP


उत्तराखंड के DGP अशोक कुमार ने कहा, "मैं जोशीमठ गया था. हमने मौके का जायजा लिया. वहां बहुत से कार्य हो रहे हैं. जो भी मकान खतरे में है उसे गिराया जा रहा है. पहले 603 थे अब 678 हो गए हैं. कुछ लोगों को स्थानांतरित किया गया है, 87 घरों के लोगों को शिफ्ट किया गया है. स्थानांतरण का कार्य जारी है. SDRF, NDRF की टीमें पहुंच गई है. राज्य सरकार जो भी निर्णय लेगी उसका उत्तराखंड पुलिस पालन कराएगी."


'अपना घर छोड़ने में तकलीफ तो होती है'


केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने कहा, "तकलीफ तो होती है, जब किराए का घर छोड़ते हैं तब भी, इन्होंने तो कमाई से अपना घर बनाया था. प्रधानमन्त्री समय-समय पर रिपोर्ट देख रहे हैं. आर्मी देख रही हैं. ITBP, NDRF सब लगी हुई है. जिसको जो भी नुकसान हुआ है सबका एस्टीमेट बन रहा है. जानवरों के लिए भी कैटल बनाया जाएगा. जहां मोदी जी खुद देख रहे हैं, वहां चिंता मत करें. बस मनोबल बनाये रखें."


ये भी पढ़ें-नीतीश का बयान सही, कहने का तरीका गलत; डेटा से समझिए जनसंख्या नियंत्रण में एजुकेशन कितना प्रभावी?