Sita Soren News: सुप्रीम कोर्ट ने 1998 के जेएमएम रिश्वत मामले में अपने बहुमत के फैसले को खारिज किया है. इस फैसले में कहा गया था सांसदों/विधायकों को वोट देने या सदन में एक खास तरह से भाषण देने के लिए रिश्वत लेने पर कानूनी कार्रवाई से छूट दी जाती है. हालांकि, अब फैसला खारिज हो गया है और इसने झारखंड के शिबू सोरेन परिवार की मुसीबतों को बढ़ा दिया है. सोरेन परिवार पर पहले से ही भ्रष्टाचार के कई केस चल रहे हैं. 


हिंदुस्ताइन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, देश की शीर्ष अदालत के फैसले के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) चीफ शिबू सोरेन की बड़ी बहू और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन की मुश्किलें बढ़ गई हैं. घटनाक्रम से वाकिफ लोगों ने सोमवार (4 मार्च) को बताया कि सीता सोरेन को अब विशेष सीबीआई अदालत के समक्ष मुकदमे का सामना करना होगा, जो पहले से ही 2012 के खरीद-फरोख्त मामले में गवाहों से पूछताछ कर रही है.


जेएमएम ने मामले पर साधी चुप्पी


सीता सोरेन शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन की पत्नी हैं. दुर्गा सोरेन का निधन हो चुका है. वर्तमान में सीता सोरेन झारखंड की जामा सीट से विधायक हैं. वह इस सीट से तीसरी बार जीतकर झारखंड विधानसभा पहुंची हैं. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेएमएम के नेताओं ने चुप्पी साधी हुई है. पार्टी प्रवक्ता मनोज पांडे ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा, 'पूरा आदेश देखने के बाद हम सभी संभावित प्रभावों के बारे में टिप्पणी करेंगे.'


क्या है मामला? 


चुनाव आयोग ने 2012 में राज्य की राज्यसभा सीटों को लेकर हो रहे चुनाव के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया. इसके बाद 2013 में झारखंड हाईकोर्ट के निर्देश पर खरीद-फरोख्त मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने केस दर्ज किया. इस मामले में सीता सोरेन का नाम सामने आया और फिर हाईकोर्ट ने उन्हें एक हफ्ते के भीतर सरेंडर करने को कहा. अदालत पहले ही उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुकी थी. फिर फरवरी, 2014 में सीता ने सीबीआई कोर्ट में सरेंडर कर दिया.


इस मामले में छह लोगों को आरोपी बनाया गया था. इसमें सीता सोरेन, उनके पिता बी माझी, तत्कालीन निर्दलीय विधायक उम्मीदवार और इंडस्ट्रियलिस्ट आरके अग्रवाल और पवन कुमार धूत शामिल थे. इसके अलावा धूत का एजेंट सुनील कुमार महेश्वेरी और राजेंद्र मंडल नाम का एक शख्स भी इस केस में आरोपी था. सीता को पहले भगोड़ा भी घोषित कर दिया गया. फरवरी, 2014 में उनकी संपत्ति भी कुर्क हुई. इसके बाद अदालत ने सितंबर, 2012 में उन्हें जमानत दे दी. 


सीबीआई ने जून, 2013 में जो चार्जशीट फाइल की थी, उसमें आरोप लगाया गया था कि जेएमएम विधायक ने 2012 के राज्यसभा चुनावों में अग्रवाल के पक्ष में वोट डालने के बदले उससे 1.5 करोड़ रुपये लिए. वहीं, सीता सोरेन के पिता ने कथित तौर पर ओडिशा में एक करोड़ रुपये लिए थे. 


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