रांची: राज्यसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच झारखंड में कांग्रेस के 2 विधायकों को बड़ा झटका लगा है. दरअसल झारखंड विकास मोर्चा (JVM) के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने पार्टी का विलय बीजेपी में कर बीजेपी की सदस्यता ले ली लेकिन JVM के 2 और विधायक प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने बीजेपी में न जाकर कांग्रेस का दामन थाम लिया.


माना जा रहा था कि राज्यसभा चुनाव के वक्त बाबूलाल बीजेपी की तरफ से तो बाकी दोनों विधायक कांग्रेस की तरफ से मतदान करेंगे लेकिन इसी बीच चुनाव आयोग ने बड़ा झटका देते हुए दोनों विधायकों को कांग्रेस का मानने से इनकार कर दिया तो वहीं बाबूलाल को बीजेपी की मान्यता मिल गई है.


क्या है जीत का आंकड़ा


झारखंड में 19 जून को राज्यसभा चुनाव होने वाले हैं. राज्य में राजसभा की 2 सीटें हैं लेकिन उम्मीदवार 3 हैं. झारखंड में कुल 81 सीटों की विधानसभा है जिसमें से दुमका और बरहेट सीट से मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन जीतकर आते हैं लेकिन दुमका सीट को छोड़ दिया है और वहीं बेरमो सीट से कांग्रेस के विधायक राजेन्द्र सिंह के निधन के बाद ये सीट भी खाली है. ऐसे में राज्य में इस वक्त असेम्बली कीन क्षमता 79 सीटों की है. इस आधार पर देखें तो राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए 27 विधायकों के प्रथम वरीयता मतों की जरूरत पड़ेगी.


आंकड़ों में फंसी कांग्रेस


ऐसे में बीजेपी के पास 26 विधायक हैं और माना जा रहा है कि आजसू पार्टी की तरफ से समर्थन मिलना तय है. वहीं सत्ताधारी पार्टी JMM के पास भी पर्याप्त विधायक हैं. लेकिन यहां कांग्रेस की चाल फंसती नजर आ रही है क्योंकि न तो पर्याप्त संख्या है और न ही जोड़-तोड़ की संभावना बनती दिख रही है. और तो और मौजूदा विधायकों में से भी 2 को चुनाव आयोग ने ही निर्दलीय करार दे दिया है. ऐसे में कांग्रेस की डगर बेहद कठिन दिख रही है.


कौन-कौन हैं मैदान में


झारखंड में बीजेपी ने राज्यसभा उम्मीदवार के तौर पर प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को मैदान में उतारा है तो वहीं JMM से पार्टी के मुखिया शिबू सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से शहजादा अनवर को उम्मीदवार बनाया गया है. इस घमासान में बीजेपी और JMM की सीट लगभग तय मानी जा रही है बस औपचारिक मुहर का इंतजार किया जा रहा है तो वहीं कांग्रेस के लिए राज्यसभा की डगर कम से कम झारखंड से तो बेहद कठिन दिखाई दे रही है.



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