Jammu Kashmir: सर्जिकल स्ट्राइक की पांचवी वर्षगांठ पर भारतीय सेना ने उरी जैसे आतंकी हमले की बड़ी साजिश का भांडाफोड़ करने का दावा किया है. पिछले नौ दिनों से एलओसी पर चले ऑपरेशन बलवान के बाद भारतीय सेना ने एलओसी के उरी सेक्टर से एक पाकिस्तानी आतंकी को जिंदा धर-दबोचा और पाकिस्तान की साजिश बेनकाब कर दी. पकड़े गए आतंकी ने पाकिस्तानी सेना, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी, आईएसआई और पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन, लश्कर-ए-तैयबा की कश्मीर घाटी में जेहाद फैलाने की साझा साजिश को बेनकाब कर दिया है.


दरअसल, 18 सितंबर को भारतीय सेना ने एलओसी के उरी सेक्टर में पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों की एक घुसपैठ को नाकाम किया था. इस घुसपैठ में छह पाकिस्तानी आतंकी शामिल थे. आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसता देख भारतीय सेना ने उन्हें ललकारा तो चार आतंकी वापस पाकिस्तान की सीमा में भाग खड़े हुए. लेकिन भारतीय सेना की कारवाई से बचने के लिए दो आतंकी भारत की सीमा में दाखिल हो गए. इन दोनों आतंकियों की तलाश में भारतीय सेना ने एलओसी पर सघन कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू कर दिया.


सेना ने LoC पर शुरु किया सघन कॉम्बिंग ऑपरेशन 


25 सितंबर को भारतीय सेना ने इन दोनों आतंकियों को उरी के सलामाबाद नाले में घेर लिया. अपने को घिरता देख दोनों आतंकियों ने भारतीय सैनिकों पर गोलाबारी शुरू कर दी. इस फायरिंग में भारतीय सेना का एक जवान घायल हो गया था. लेकिन 26 सितबंर की सुबह भारतीय सेना ने एक आतंकी को मार गिराया. अपने साथी की मौत से घबराया दूसरा आतंकी भारतीय सेना के सामने गिड़गिड़ाने लगा और सरेंडर की अपील की. भारतीय सेना के 'ऑपरेशन बलवान' का नेतृत्व कर रहे जाट रेजीमेंट के कैप्टन मुश्ताक ने आतंकी के सरेंडर को मंजूर कर लिया.




आपको बता दें कि वर्ष 2016 में उरी हमले के दौरान भी पाकिस्तानी आतंकी इसी सलामाबाद नाले के जरिए कश्मीर में दाखिल हुए थे. पकड़े गए आतंकी ने अपना नाम अली बाबर पात्रा बताया. 19 साल के अली बाबर ने बताया कि वो पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ओकारा जिले का रहने वाला है. उसका गांव वसेवावला दयालपुल तहसील का हिस्सा है. वो लश्कर ए तैयबा का सदस्य है और जेहाद के लिए कश्मीर में दाखिल होना चाहता था. उसके कब्जे से भारतीय सेना को भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद और युद्ध सामाग्री बरामद हुई.


आतंकी से पूछताछ में बड़ी साजिश का खुलासा


दो दिन की कड़ी पूछताछ के बाद भारतीय सेना की 19 इंफेंट्री डिवीजन के जीओसी, मेजर जनरल वीरेंद्र वत्स ने उरी में प्रेंस कॉन्फ्रेंस कर एलओसी पर पाकिस्तान की बड़ी साजिश का खुलासा किया. जीओसी के मुताबिक, भले ही अली बाबर का दावा है कि वो इन हथियार और गोला बारूद को उत्तरी कश्मीर के पाटन तक सप्लाई करने आया था, लेकिन हकीकत ये है कि लश्कर के ये आतंकी वर्ष 2016 के उरी हमले को दोहराना चाहते थे. मेजर जनरल वीरेंद्र वत्स के मुताबिक, पाकि‌स्तानी आतंकी हो या कश्मीरी, भारतीय सेना की सभी आतंकियों के प्रति एक जैसी नीति है. अगर कोई भी आतंकी सरेंडर करना चाहता है तो वो कर सकता है. सरेंडर करने वाले आतंकी को भारतीय सेना परेशान नहीं करती है.


बाद में एबीपी न्यूज सहित बाकी भारतीय मीडिया से बातचीत में पाकिस्तानी आतंकी अली बाबर ने बताया कि किस तरह यतीम और गरीब युवाओं को पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और लश्कर ए तैयबा जैसी आतंकी तंजीम (संगठन) कश्मीर में जेहाद के लिए उकसाते हैं. भोले-भाले युवाओं को कश्मीर की झूठी कहानी सुनाकर बरगलाया जाता है और घुसपैठ कराई जाती है.


अली बाबर ने बताया कि उसके पिता की मौत के बाद उसे पैसों की जरूरत थी. उसके घर में विधवा मां और एक बहन है. घर के पालन-पोषण के लिए उसने सातवीं कक्षा के बाद स्कूल छोड़ दिया था. इसको बाद वो सियालकोट चला गया, जहां एक फैक्ट्री में काम करते हुए उसकी मुलाकात कारी अनस उर्फ अतीर उर रहमान नाम के एक शख्स से हुई जो आईएसआई के लिए काम करता था और लश्कर ए  तैयबा में शामिल होने के लिए पाकिस्तानी युवाओं की भर्ती करता था. अनस ने लश्कर में शामिल होने के लिए 20 हजार रूपये भी दिए थे. कारी अनस ही वो दूसरा आतंकी था जो 26 सितबंर को भारतीय सेना से मुठभेड़ में मारा गया था.


अली बाबर ने बताया कि फरवरी 2019 में उसकी तीन हफ्ते की मिलिट्री ट्रेनिंग पाकिस्तानी सेना के ख्बैर पख्तूनखंवा प्रांत के गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप में हुई थी. उसे हथियार चलाने और फिजीकल ट्रेनिंग दी गई थी. इस ट्रेनिंग के बाद अनस ने उसकी मां के इलाज के लिए 20 हजार रूपये दिए थे. कश्मीर के पाटन तक पहुंचने के बाद उसे 30 हजार और देने का वादा किया गया था. इसके बाद इसी साल यानि अप्रैल 2021 में बाबर को एक बार फिर से एक हफ्ते का 'रिफ्रेशर कोर्स' कराया गया (13-20 फरवरी). ये आतंकी कोर्स कराया गया एलओसी के करीब गढ़ी हबीबुल्लाह के मरकज़ ए ख्बैर में. 21 फरवरी को पीओके के कहुटा भेज दिया गया.


पिछले चार महीने से अली बाबर कहुटा के हलान सुमाली में आईएसआई के एक 'डेट' (डिटेचमेंट) में रह रहा था. इस दौरान उसे टेक्निकल, कम्युनिकेशन, जीपीएस और मैट्रिक्स का कोर्स कराया गया. कोर्स पूरा होने के बाद बाबर को छह पाकिस्तानी आतंकियों के साथ 18 सितंबर को एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की जाबरी पोस्ट से 'लॉन्च' किया गया. लेकिन एलओसी पर ही इन सभी का सामना भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट की पैट्रोलिंग पार्टी से हो गया.


'ऑपरेशन बलवान' के जरिए सेना को बड़ी सफलता


जाट रेजीमेंट ने नौ दिन लंबे चले कॉम्बिंग और सर्च ऑपरेशन के बाद अली बाबर को जिंदा धर दबोचा. क्योंकि जाट रेजीमेंट का युद्धघोष 'जाट बलवान, जय भगवान' है इसलिए नौ दिन तक चले इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन बलवान' नाम दिया गया.


भारतीय सेना के मुताबिक, पिछले सात दिनों में एलओसी के उरी सेक्टर में दो बड़े ऑपरेशन किए गए हैं. 23 सितंबर को भी इसी सेक्टर के रामपुर इलाके में घुसपैठ करते हुए तीन आतंकी ढेर किए गए थे. इनमें से एक पाकिस्तानी नागरिक था और दो आतंकी पिछले 20-25 साल से पाकिस्तान में रह रहे थे. उनके कब्जे से भी भारी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद हुआ था.


भारतीय सेना के मुताबिक, पिछले एक महीने से पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर यानि पीओके में सक्रिय टेरर लॉन्च पैड बेहद सक्रिए हो गए हैं, जिसे देखकर ऐसा लगता है कि पाकि‌स्तान बड़ी संख्या में आतंकियों की घुसपैठ कराना चाहता है. क्योंकि पिछले कुछ समय से कश्मीर घाटी में शांति बनी हुई है.


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