Omar Abdullah in Kargil: नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने दावा किया है कि केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख (Ladakh) में प्राधिकारियों ने उन्हें करगिल जाने से रोकने की कोशिश की. उमर ने सोमवार को द्रास में अपने समर्थकों की सभा में कहा कि उन्होंने मुझे यहां नहीं आने को कहा. वहां (पूर्वी लद्दाख में) चीन आ गया है, आप उन्हें रोक नहीं सके, आप उन्हें वापस नहीं भेज सके. हम केवल श्रीनगर से द्रास के जरिए करगिल जा रहे हैं. हम यहां शहर पर कब्जा जमाने नहीं आए हैं.’


अब्दुल्ला ने आरोप लगाया कि उन्हें द्रास में सार्वजनिक संबोधन प्रणाली का इस्तेमाल करने और ‘डाक बंगला’ सुविधा का लाभ उठाने की अनुमति नहीं दी गई. उन्होंने कहा, ‘‘मैं 6 साल जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री रहा हूं, लेकिन उनके कुछ फैसले मेरी समझ में नहीं आते. अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार को अपने फैसले पर ही भरोसा नहीं है. उन्होंने अगस्त 2019 में आपको (लद्दाख को) जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया. यदि यह आपकी दिली मांग थी, तो वे हमें प्रवेश करने की अनुमति देने से क्यों डरते हैं?


उमर अब्दुल्ला का मोदी सरकार पर हमला


उन्होंने केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि वे काल्पनिक रेखाएं बनाकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के लोगों के बीच सदियों पुराने संबंध समाप्त नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संबंध बहुत मजबूत हैं और ये फर्जी रेखाएं इन्हें कमजोर नहीं कर सकतीं. हम आपका दर्द समझ सकते हैं, हम जानते हैं कि आपको नज़रअंदाज किया जा रहा है.’’


31 अक्टूबर को लद्दाख फाउंडेशन डे


बता दें कि 31 अक्टूबर 2019 से लद्दाख एक अलग केंद्र शासित प्रदेश है. केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त कर दिया था. पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला सोमवार से (31 अक्टूबर) से दो दिन के करगिल और द्रास के दौरे पर पहुंचे हैं. लद्दाख में 31 अक्टूबर को यूटी फाउंडेशन डे मनाया जाता है. इसी का हवाला देते हुए जिला प्रशासन ने कहा कि इजाजत नहीं दी गई थी. प्रशासन को आशंका थी कि उनके भाषण से कानून व्यवस्था ना बिगड़ जाए.


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