नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर के राजनैतिक नेताओं से 24 जून को होने वाली अहम बैठक से पहले मंगलवार को श्रीनगर में 'कोर ग्रुप' की अहम बैठक हुई जिसमें सेना और पुलिस सहित सभी सुरक्षा बलों के शीर्ष कमांडर्स, इंटेलीजेंस‌ एजेंसियों के प्रतिनिधि और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के आला-अधिकारियों ने हिस्सा लिया. बैठक में पिछले छह महीने के दौरान कश्मीर घाटी में शांति बहाली की समीक्षा की गई और माना गया कि इस दौरान हिंसा में काफी गिरावट आई है. 


श्रीनगर स्थित रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता, लेफ्टिनेंट कर्नल एमरोम मौसवी के मुताबिक,  बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि किस तरह पिछले छह महीने में केंद्र और राज्य सरकारों के महकमों ने सुरक्षाबलों के साथ मिलकर ना केवल कोरोना पर काबू पाया बल्कि आतंकवाद और हिंसा पर काबू पाया. 


मीटिंग में इस बात पर खास चर्चा हुई कि आतंकियों की रिक्रूटमेंट रोकने और संदिग्ध गाड़ियों के मोविंग आईईडी की तरह इस्तेमाल  (यानि पुलवामा हमला जैसी घटना) ना हो सके उस पर भी गहनता से चर्चा हुई. सड़क के किनारे अतिक्रमण हटाने पर भी चर्चा हुई ताकि सुरक्षाबलों के काफिलों को कोई खतरा ना हो. 


सेना की तरफ से एलओसी के हालात की जानकारी देते हुए बताया गया कि पाकिस्तान की तरफ से फायरिंग और गोलाबारी बंद कर दिया गया है. लेकिन पिछले दो महीने के दौरान एलओसी के दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना की गतिविधियां तेज जरूर हुई हैं. खुफिया एजेंसियों के इनपुट की मानें तो एलओसी पर पाकिस्तान की तरफ टेरर लॉन्च पैड्स और आतंकी गतिविधियां सक्रिए हैं. ऐसे में एलओसी के हालात पर बेहद पैनी नजर बनाए रखने की जरूरत है. इसके अलावा पाकिस्तान की तरफ से ड्रग्स और हथियारों की स्मगैलिंग अभी भी जारी है.


बैठक में आतंकी हमलों और आपराधिक घटनाओं में  अंतर करने पर जोर तो दिया ही गया साथ ही सोशल मीडिया पर पाकिस्तान और अलगावादियों के प्रोपेगेंडा पर भी नजर बनाए रखने पर बात हुई, ताकि कश्मीर घाटी में अमन-शांति कायम रहे.


बैठक की अध्यक्षता श्रीनगर स्थित सेना की चिनार (14वीं) कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल डी पी पांडे और जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी दिलबाग सिंह ने संयुक्त रूप से की.


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