State Investigating Agency: जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में आतंक की कमर तोड़ने के लिए प्रदेश सरकार ने स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (State Investigating Agency) के गठन को मंजूरी दी है, जिसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के उन अधिकारियों को शामिल किया जाएगा जिन्होंने या तो राष्ट्रीय जांच एजेंसी में काम किया हो या जिनका आतंक के खिलाफ जांच में लंबा चौड़ा अनुभव हो. वहीं, जानकार इस नई जांच एजेंसी को लेकर कई तरह के सवाल उठा रहे हैं.
जम्मू कश्मीर प्रशासन द्वारा हाल ही में गठित स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी में प्रदेश पुलिस के अधिकारियों की तैनाती शुरू हो गई है. फिलहाल, इस एजेंसी में डीआईजी, एसएसपी और एसपी स्तर के कई अधिकारियों को शामिल किया गया है. यह जांच एजेंसी राष्ट्रीय जांच एजेंसी की तर्ज पर जम्मू कश्मीर में काम करेगी और इस नई जांच एजेंसी को कई तरह के अधिकार भी दिए गए हैं.
अगर स्टेट इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी के अधिकारियों की बात करें तो यह एजेंसी किसी भी आतंकी साजिश की जांच इसमें शामिल लोगों की गिरफ्तारी से लेकर मामला दर्ज कर सकती है. लेकिन, इस जांच एजेंसी के गठन को लेकर कई जानकार सवाल उठा रहे हैं. जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीआईजी के पद से रिटायर हुए इसरार खान का मानना है कि आतंकी जांच के लिए न केवल जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय जांच एजेंसी काम कर रही है बल्कि स्थानीय स्तर पर पुलिस की कई एजेंसियां भी इस काम में लगी हुई है और ऐसे में नई एजेंसी के गठन का मकसद उनकी समझ से बाहर है.
केवल राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी आतंक के खिलाफ कर रही है काम
इसरार खान मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) में न केवल राष्ट्रीय स्तर की जांच एजेंसी आतंक के खिलाफ काम कर रही हैं बल्कि जम्मू-कश्मीर पुलिस की कई एजेंसी आतंकी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं. लेकिन, इन सबके बावजूद जम्मू कश्मीर में आतंक का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है. उनका दावा है कि ऐसी एजेंसी खड़ा करने से बेहतर है कि सरकार जम्मू कश्मीर में लोगों से सीधा संवाद करें और यहां के लोगों को बेहतर सुविधाएं और रोजगार प्रदान किया जाए ताकि ये आतंक से दूरी बनाकर रखें.
नई जांच एजेंसी में जम्मू-कश्मीर पुलिस के अफसरों को किया जाएगा शामिल
इसरार खान ने तर्क दिया कि इस नई जांच एजेंसी में जम्मू-कश्मीर पुलिस के ही अफसरों को शामिल किया जाएगा. ऐसे में प्रत्येक जिले में काम कर रही पुलिस और स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी के अधिकारियों के बीच में समन्वय बिठाना भी एक चुनौती भरा काम होगा. बता दें कि स्टेट इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी को गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम यानी UAPA के तहत दर्ज मामलों की तहकीकात दी जा सकती है.
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