जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind) के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी (Maulana Arshad Madani) ने सोमवार को कहा कि गैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा (को-एजुकेशन) देने से परहेज करना चाहिए ताकि वो अनैतिकता की चपेट में नहीं आएं. जमीयत की ओर से जारी बयान के मुताबिक, संगठन की कार्यसमिति की बैठक में मदनी ने यह टिप्पणी की. उन्होंने भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या किये जाने (मॉब लिंचिंग) की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाले राजनीतिक दलों को इस अपराध के खिलाफ कानून बनाने के लिए आवाज उठानी चाहिए.


मौलाना मदनी ने कहा, ' अनैतिकता और अश्लीलता किसी भी धर्म की शिक्षा नहीं है. इनकी हर धर्म में निंदा की गई है क्योंकि इनसे समाज में कदाचार फैलता है. ऐसे में, मैं अपने गैर-मुस्लिम भाइयों से कहना चाहूंगा कि वे बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज करें ताकि वो अनैतिकता से दूर रहें. उनके लिए अलग शिक्षण संस्थान स्थापित किए जाएं.'


मॉब लिंचिंग का उल्लेख करते हुए मदनी ने कहा, ‘‘ उच्चतम न्यायालय के सख्त निर्देश के बाद भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. क्या यह संभव है कि ऐसा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन न मिला हो?’’


उन्होंने यह भी कहा, ‘‘सभी राजनीतिक दल, खासकर जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, वो खुलकर सामने आएं और इसके खिलाफ कानून बनाने के लिए आवाज और व्यावहारिक कदम उठायें. सिर्फ निंदा करना ही काफी नहीं है.’’ मदनी के अनुसार, ‘‘ऐसी घटनाएं उस समय अचानक बढ़ जाती हैं, जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं. यह बहुत चिंता की बात है.’’ उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में मुस्लिम समुदाय को सिर्फ शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.


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