संयुक्त राष्ट्र: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात की और इस दौरान कोविड-19 महामारी के चलते उपजी चुनौतियों को लेकर व्यापक चर्चा की. बैठक के दौरान जयशंकर ने तत्काल और प्रभावी वैश्विक टीका समाधान तलाशने की महती आवश्यकता को रेखांकित किया. इस साल जनवरी में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गैर स्थायी सदस्य के तौर पर भारत के शामिल होने के बाद जयशंकर की संयुक्त राष्ट्र प्रमुख से यह पहली प्रत्यक्ष मुलाकात थी.


बैठक के दौरान विदेश मंत्री ने भारत के पड़ोस से संबंधित क्षेत्रीय चुनौतियों को लेकर भी विचार-विमर्श किया और कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना पूरे क्षेत्र के लिए प्राथमिकता रहा है. जयशंकर ने लगभग एक घंटे चली बैठक के बाद ट्वीट कर कहा, ' संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस के साथ बैठक में व्यापक चर्चा हुई. कोविड की चुनौतियों पर चर्चा के साथ ही वैश्विक स्तर पर तत्काल और प्रभावी वैश्विक टीका समाधान तलाशने की महती आवश्यकता को रेखांकित किया. अधिक उत्पादन एवं उचित वितरण सुनिश्चित करने के लिए टीका आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत किया जाना महत्वपूर्ण है.'


जयशंकर ने गुतारेस के साथ ऐसे समय में मुलाकात की है, जब भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और उसे टीके की मांग और आपूर्ति के बीच भारी अंतर का सामना करना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की ओर से जारी बयान के मुताबिक, महासचिव ने कोविड-19 महामारी की मौजूदा लहर से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में सरकार और भारत के लोगों के साथ एकजुटता प्रदर्शित की.


इसके मुताबिक, जयशंकर ने 'सभी के लिए टीका' उपलब्ध कराने के वास्ते महासचिव के प्रयासों की सराहना की. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रवक्ता स्टीफ़न दुजारिक ने कहा कि गुतारेस और जयशंकर के बीच 'बहुत अच्छी चर्चा' हुई. दुजारिक ने कहा, ' उन्होंने कोविड-19 और टीके के मुद्दे के साथ ही शांति एवं सुरक्षा से संबंधित कई मुद्दों पर बातचीत की.'


विदेश मंत्री ने अन्य ट्वीट में कहा कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के साथ पर्यावरण संबंधी कदमों पर भी विचार साझा किए. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की अहम भूमिका का भी उल्लेख किया और अगस्त में उसकी अध्यक्षता के दौरान प्राथमिकताओं को भी साझा किया. जयशंकर ने कहा, ' शांति बनाए रखने के लिए समुद्री सुरक्षा एवं तकनीक मौजूदा समय की आवश्यकता है.'