S Jaishankar: केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) ने न्यूयॉर्क में ब्रिक्स मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान अपने चीनी समकक्ष वांग यी (Wang Yi) से मुलाकात की. विदेश मंत्रियों की इस बैठक की मेजबानी दक्षिण अफ्रीका ने की है. इस दौरान रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी बैठक में मौजूद थे, जहां विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के एजेंडे पर प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया. 


इस दौरान ब्रिक्स फोरम से जुड़े मुद्दों और एजेंडा पर भी चर्चा हुई. ब्रिक्स बैठक से पहले, जयशंकर ने वैश्विक आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए कई सुरक्षा एजेंसियों द्वारा वैश्विक प्रयासों के प्रति चीन की प्रतिक्रिया की आलोचना की थी. बीजिंग का नाम लिए बिना जयशंकर ने अफसोस जताया कि कैसे कुछ देशों ने दुनिया के कुछ सबसे खतरनाक आतंकवादियों को सलाखों के पीछे डालने का उत्साह नहीं दिखाया. 


जयशंकर का चीन पर कटाक्ष


जयशंकर ने इससे पहले लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी साजिद मीर को ब्लैकलिस्ट नहीं करने और उसे वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित करने के लिए चीन पर कटाक्ष किया था. जयशंकर ने अफसोस जताया कि कुछ देशों ने 'दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों' को मंजूरी देने की सुविधा दी. 


जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की ब्रीफिंग में कहा कि राजनीति को जवाबदेही से बचाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि जब दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों को प्रतिबंधित करने की बात आती है तो उन्हें बचाने की कोशिश की जाती है. 


'भारत-चीन तनाव से कम हुई ब्रिक्स की ताकत'


विशेषज्ञों ने यह भी बताया कि 2020 गलवान घाटी झड़पों के बाद भारत और चीन के बीच तनाव के कारण ब्रिक्स मंच की ताकत कम हुई है. उन्होंने कहा कि भारत की सीमाओं पर चीनी आक्रमण के कारण बीजिंग और नई दिल्ली के बीच अनसुलझे संकट के कारण उभरती अर्थव्यवस्थाओं को सामने लाकर पश्चिम के वैश्विक प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए ब्रिक्स का प्रतिनिधित्व और उसकी बोली प्रभावित हुई है. 


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