Family Court on Social Media Pic: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने कहा कि सोशल मीडिया (Social Media) पर खुद की चमकदार तस्वीर पेश (Present a Bright Photo) करना आजकल युवाओं की आदत बन गयी है, लेकिन इसकी सामग्री हमेशा सच नहीं हो सकती है. अदालत (Court) ने इसी के साथ एक व्यक्ति द्वारा उसकी वयस्क बेटी (Audult Daughter) को दी जाने वाली गुजारा राशि में कटौती करने से इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति भारती डांगरे (Justice Bharti Dangare) की एकल पीठ 16 जून को अनिल मिस्त्री (Anil Mistri) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

बंबई हाईकोर्ट (Bombay High Court) में दायर की गई इस याचिका (Rit) परिवार अदालत (Family Court) के उस आदेश में संशोधन की मांग की गई थी, जिसमें मिस्त्री को अपनी बेटी को भरण-पोषण के लिए 25,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था. आदेश की प्रति मंगलवार को उपलब्ध कराई गई. मिस्त्री ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उसकी बेटी पेशे से मॉडल (Model) है.

सोशल मीडिया पर अपलोड करती हैं आकर्षक फोटोजअपने प्रोफेशन की वजह से अपनी सोशल मीडिया पर वो काफी खूबसूरत और आकर्षक फोटोज का इस्तेमाल करती है. इस वजह से लोग उसके सोशल मीडिया प्रोफाइल को देखकर ये समझने लगते हैं कि वह काफी अच्छी कमाई कर रही है. न्यायमूर्ति डांगरे ने हालांकि कहा कि इंस्टाग्राम पर पोस्ट की गई बेटी की तस्वीरें और उसकी ‘इंस्टाग्राम बायोग्राफी’ यह सिद्ध नहीं करती हैं कि वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र है और उसकी पर्याप्त आय है.

कोर्ट ने कहा चमकदार फोटो युवाओं की आदत बन गई हैउन्होंने कहा, "यह सर्वविदित तथ्य है कि सोशल मीडिया (Social Media) पर खुद की चमकदार तस्वीरें (Bright Pics) पोस्ट करना (Post) आज के युवाओं की आदत बन गयी है. हालांकि, इसकी सामग्री हमेशा सच नहीं होती है."  उच्च न्यायालय (High Court) ने परिवार अदालत (Family Court) के आदेश में संशोधन करने से इनकार करते हुए मिस्त्री की याचिका खारिज कर दी. याचिकाकर्ता से अलग होने के बाद उसकी पत्नी ने खुद के लिये और अपने दोनों बच्चों के वास्ते गुजारा भत्ते की मांग करते हुए परिवार अदालत का रुख किया था.

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