ISRO Space Station: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) ने 2028 तक भारत का पहला इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन लॉन्च करने का ऐलान किया है. भारत ने पिछले डेढ़ दशक में स्पेस सेक्टर में बड़ी कामयाबी हासिल की है. चंद्रमा पर लैंडर उतारना हो या फिर मंगल ग्रह तक मिशन पहुंचाना या फिर ढेरों सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजना. भारत ने हर साल स्पेस में बढ़त ही हासिल की है और अब उसका मकसद स्पेस में अपना 'घर' यानी स्पेस स्टेशन बनाना है. 


इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने बताया है कि स्पेस स्टेशन के शुरुआती मॉड्यूल को कब लॉन्च किया जाएगा. उन्होंने कहा है कि अगले पांच सालों के भीतर यानी 2028 तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के हमारे शुरुआती मॉड्यूल को ऑर्बिट में पहुंचा दिया जाएगा. पहला मॉड्यूल 8 टन वजन वाला होगा. उन्होंने कहा कि भारत अमृत काल के भीतर की अपना 'भारत स्पेस स्टेशन' स्थापित करना चाहता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि स्पेस स्टेशन से देश को क्या फायदा होने वाला है.


किन देशों के पास हैं स्पेस स्टेशन? 


स्पेस में अभी दो स्पेस स्टेशन हैं, इसमें से एक चीन का 'तियानगोंग स्पेस स्टेशन' है, जबकि दूसरा 'इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन' है, जिसे दर्जन भर देशों ने मिलकर तैयार किया है. चीन का तियानगोंग स्पेस स्टेशन 2022 से ही ऑपरेशनल है. वर्तमान में इस पर तीन एस्ट्रोनोट्स भी मौजूद हैं. ये पृथ्वी से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगा रहा है. चीन ने पहले भी दो 'अस्थायी स्पेस स्टेशन', तियांगोंग-1 और तियांगोंग-2 को ऑर्बिट में भेजा था. 


अगर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) की बात करें, तो ये प्रसिद्ध स्पेस स्टेशन है. अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा, रूस की रोस्कोमोस, जापान की जाक्सा, यूरोप की ईएसए और कनाडा की सीएसए ने मिलकर इस स्टेशन को तैयार किया. ये सभी मिलकर आईएसएस को कंट्रोल करते हैं. आईएसएस को 1998 में लॉन्च किया गया था. ये पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगा रहा है. स्पेस में भेजा गया ये इंसान का बनाया सबसे बड़ा स्ट्रक्चर है. 


भारत के स्पेस स्टेशन से क्या फायदे होंगे? 



  • पृथ्वी के ऊपर भारत स्पेस स्टेशन होने से हमें 24 घंटे धरती की तस्वीरें क्लिक करने का मौका मिलेगा. इसके जरिए देश को जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक घटनाओं की समझ, ज्वालामुखी विस्फोट की जानकारी और रोशनी से होने वाले प्रदूषण के बारे में पता चलेगा. मौसम में होने वाले बदलाव का भी ऊपर से ही पता चलेगा. 

  • स्पेस स्टेशन पर कई तरह के साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट किए जा सकेंगे. माइक्रोब्स पर रिसर्च करना होगा या किसी बीमारी को स्पेस के वातावरण में समझना हो या फिर इंसानी शरीर किस तरह के काम करता है, ये सब हमें स्पेस स्टेशन पर बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी. स्पेस में पौधे उगाने जैसे काम भी किए जाएंगे.

  • स्पेस स्टेशन होने का एक बड़ा फायदा ये होगा कि ये हमारी आने वाली पीढ़ियों को स्पेस सेक्टर में करियर बनाने के लिए प्रेरित करेगा. स्पेस स्टेशन में मौजूद एस्ट्रोनोट्स भारतीय छात्रों से बात कर पाएंगे और उन्हें मोटिवेट कर पाएंगे. अंतरिक्ष में इसकी मौजूदगी वहां बढ़ती हमारी धाक को भी दिखाने का काम करेगी. 

  • स्पेस सेक्टर में काम करने वाले भारतीय बिजनेस, रिसर्चर्स और वैज्ञानिकों को अगर कोई टूल टेस्ट करना होगा, तो वो उसे स्पेस स्टेशन पर भेज पाएंगे. इसके जरिए किसी भी स्पेस प्रोडक्ट को बेहतर करने में मदद मिलेगी. आने वाले वक्त में वैसे भी स्पेस सेक्टर काफी बूम करने वाला है. 

  • भारत अपने पड़ोसी देशों की भी इस स्पेस स्टेशन से मदद कर पाएगा. अगर किसी देश को अपने एस्ट्रोनोट्स को अंतरिक्ष में भेजना होगा तो भारत इसमें उनकी मदद कर पाएगा. ये ठीक ऐसा ही होगा, जैसे जापान, कनाडा के एस्ट्रोनोट्स आईएसएस पर जाकर ठहरते हैं. 

  • भारत भविष्य में चंद्रमा और मंगल ग्रह पर भी इंसानों को भेजने का विचार कर रहा है. ऐसे में पृथ्वी के बाहर ये उन एस्ट्रोनोट्स के लिए एक बेस कैंप का भी काम करेगा. अभी भारतीय एस्ट्रोनोट्स को स्पेस में भेजने की भी तैयारी चल रही है. 


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