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दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार (13 अक्तूबर 2025) को कथित IRCTC घोटाला मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद, बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और उनके बेटे व राज्य में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय किए. इसके साथ ही बिहार में चुनाव से पहले उनके खिलाफ मुकदमे की तैयारी शुरू हो गई है. IRCTC घोटाले की बात करें तो इसकी कहानी साल 2005-06 में शुरू होती है. CBI के अनुसार, रेल मंत्री रहते लालू प्रसाद ने 2005-06 में कोचर बंधुओं को IRCTC के 2 होटल (रांची, पुरी) लीज पर दिलाए. इसके बदले पटना में 3 एकड़ जमीन ली. 7 जुलाई 2017 को CBI ने लालू समेत 5 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी. इस सिलसिले में करीब 12 ठिकानों पर छापेमारी की गई थी. 16 अप्रैल 2018 को लालू-राबड़ी और तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की

FIR में आरोप है, कोचर ने जिस दिन DMCL के फेवर में यह सौदा किया, उसी दिन रेलवे बोर्ड ने IRCTC को उसे BNR होटल सौंपे जाने के अपने फैसले के बारे में बताया. CBI के एडिशनल डायरेक्टर, राकेश अस्थाना ने बताया था कि लालू यादव रेल मंत्री थे, तब रेलवे के पुरी और रांची स्थित BNR होटल को IRCTC को ट्रांसफर किया था, इन्हें रख-रखाव और इम्प्रूव करने के लिए लीज पर देने की प्लानिंग थी. इसके लिए टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल को दिए गए. टेंडर प्रोसेस में हेर-फेर किया गया. यह टेंडर की प्रक्रिया IRCTC के उस वक्त के MD पीके गोयल ने पूरी की.

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टेंडर के एवज में जमीन बेच दी

25 फरवरी 2005 को टेंडर के एवज में कोचर ने पटना के बेली रोड स्थित 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मेसर्स डिलाइट मार्केटिंग कंपनी लिमिटेड (DMCL) को 1.47 करोड़ रुपये में बेच दी, जबकि बाजार में उसकी कीमत 1.93 करोड़ रुपये थी. इसे एग्रीकल्चर लैंड बताकर सर्कल रेट से काफी कम पर बेचा गया, स्टाम्प ड्यूटी में गड़बड़ी की गई. 2010 से 2014 के बीच यह बेनामी प्रॉपर्टी लालू की फैमिली की कंपनी लारा प्रोजेक्ट्स को सिर्फ 65 लाख में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और मार्केट प्राइस 94 करोड़ रुपये था.

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