International Booker Prize 2022: जानी मानी लेखिका गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को साल 2022 का अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज (International Booker Prize) से सम्मानित किया गया है. उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) यानी रेत समाधि'  के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया गया है. लेखिका गीतांजलि श्री की यह उपन्यास मूल रूप से हिंदी में 'रेत समाधि' के नाम से प्रकाशित की गई थी. इसका अंग्रेजी अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड' के नाम से किया गया था. इसका अंग्रेजी में अनुवाद डेजी रॉकवेल (Daisy Rockwell) ने किया था.


बुकर पुरस्कार से जुड़े सदस्यों ने 'रेत समाधि' के अनुवाद 'टॉम्ब ऑफ सैंड' को काफी सराहा और इसे बेहद ही शानदार बताया. इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार की इस वक्त काफी चर्चा हो रही है. ऐसे ये जानना जरुरी है कि इस पुरस्कार के लिए नकद कितनी राशि दी जाती है और ये पुरस्कार किसके द्वारा दिया जाता है?. अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज बुकर कंपनी और ब्रिटिश प्रकाशन संघ की ओर से संयुक्त रूप से दिया जाता है.


बुकर पुरस्कार के लिए मिलेगी कितनी राशि?


नोबेल पुरस्कार के बाद इस अतंरराष्ट्रीय बुकर प्राइज को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार माना जाता है. इसमें जीतने वाले विजेताओं को प्राइज के साथ-साथ नकद इनाम भी दिए जाते हैं. पुरस्कार जीतने वाले विजेता को 50000 पाउंड की राशि दी जाती है. भारतीय रुपये में ये राशि 49,03,222.12 के करीब होती है. बता दें कि बुकर पुरस्कार की स्थापना साल 1969 में इंग्लैंड में बुकर मैकोनल कंपनी के द्वारा की गई थी.


किसे दिया जाता है बुकर पुरस्कार?


अतंरराष्ट्रीय बुकर पुस्कार हर साल मौलिक अंग्रेजी उपन्यास या अंग्रेजी में ट्रांसलेशन कार्य के लिए दिया जाता है.  ब्रिटेन या फिर आयरलैंड में प्रकाशित किसी एक किताब को प्रत्येक साल पुरस्कार देने की परंपरा है. 2022 के पुरस्कार के लिए चयनित किताब की घोषणा 7 अप्रैल को लंदन बुक फेयर में ही कर दी गई थी. दुनिया का पहला बुकर पुरस्कार अलबानिया के उपन्यासकार इस्माइल कादरे को प्रदान किया गया था.


लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित होगी इनाम राशि


50,000 पाउंड के साहित्यिक पुरस्कार के लिए 5 अन्य उपन्यासों से प्रतियोगिता थी. जिसमें 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (Tomb of Sand) ने बाजी मार ली. पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच विभाजित की जाएगी.  'टॉम्ब ऑफ सैंड' अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार (International Booker Prize) के लिए जब शॉर्टलिस्ट किया गया तभी ये हिंदी भाषा की पहली कृति बन गया. अब 2022 का बुकर प्राइज इसे मिला तो ऐतिहासिक पल साबित हुआ. इससे पहले भी गीतांजलि श्री (Geetanjali Shree) को भारत में कई सम्मान मिल चुके हैं.


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