IMD Forecasts About Heat Wave After February: फरवरी में इस साल मई में पड़ने वाली गर्मी का एहसास तो पहले ही हो चुका है. इस बीच भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने बताया है कि 122 साल बाद 2023 की फरवरी में बढ़ते पारे ने बीता रिकॉर्ड तोड़ दिया. 1901 के बाद की ये सबसे गर्म फरवरी रही. मौसम विभाग की आने वाले दिनों को लेकर तापमान और मौसम को लेकर की गई भविष्यवाणी भी डराने वाली है. विभाग ने भयंकर लू  (Heat Waves) चलने की भविष्यवाणी की है.


आने वाले 3 महीने झुलसा देंगे


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भारत ने 1901 के बाद से सबसे गर्म फरवरी का दौर झेला. आईएमडी के हाइड्रोमेट और एग्रोमेट एडवाइजरी सर्विसेज चीफ वैज्ञानिक एस.सी. भान (S.C. Bhan) के अनुसार, मौसम कार्यालय ने मार्च, अप्रैल और मई के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में भयंकर लू (Heat Waves) पड़ने की संभावना जताई है.  भान ने कहा, "पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग के दौर में है. हम गर्म होती दुनिया में रह रहे हैं."


उन्होंने कहा कि मार्च में लू की संभावना कम है, लेकिन देश के अधिकांश हिस्सों में अप्रैल और मई में चरम मौसम स्थिति का अनुभव हो सकता है. गौरतलब है कि भारत में 1877 के बाद से इस साल फरवरी का महीना सबसे गर्म रहा और अधिकतम औसत तापमान 29.54 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. मौसम विभाग ने इसे ‘ग्लोबल वार्मिंग’ से जोड़ा है.


इससे साफ है कि आने वाले महीनों में भारत को गर्म मौसम का सामना करना पड़ेगा. बीते साल की तेज गर्मी की लहर का दोबारा इस साल जारी रहना फिक्र की बात है. इससे फसलों को ही नुकसान नहीं पहुंचेगा बल्कि देश के के बिजली नेटवर्क पर और दबाव पड़ने का खतरा है.


इस साल गेहूं की फसल के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचने की उम्मीद है. इस वजह से कृषि मंत्रालय ने गर्मी के मौसम के गेहूं की फसल पर प्रभाव की निगरानी के लिए एक पैनल का गठन किया है. पिछले साल, भारत ने एक सदी से भी अधिक समय में अपने सबसे गर्म मार्च का सामना किया था, जिससे अनाज की फसल झुलस गई और सरकार को निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए मजबूर होना पड़ा. 


क्यों है जरूरी मौसम के मिजाज का सही रहना


मौसम कार्यालय के मुताबिक, देश भर में अधिकतम मासिक औसत तापमान 1901 के बाद से फरवरी में सबसे अधिक था. मार्च में तापमान गेहूं की फसल के लिए अहम होता है. फसल अभी कमजोर अवस्था में है. वहीं तापमान के प्रायद्वीपीय क्षेत्र को छोड़कर अधिकांश हिस्सों में सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है.


लंबे समय तक लगातार पड़ने वाली गर्मी से दूसरे साल भी भारत के गेहूं उत्पादन में कटौती हो सकती है. इससे स्थानीय खाद्य लागत को नियंत्रित करने की कोशिशों को नुकसान पहुंच सकता है. दरअसल चीन के बाद भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. कम उत्पादन से वैश्विक बाजार में गेहूं की कमी बनी रह सकती है. इसे देखते हुए देश निर्यात प्रतिबंधों को जारी रख सकता है.


मौसम का चढ़ता मिजाज


भारत जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे संवेदनशील देशों में से एक है. बेहद कठोर मौसम वाले हालात जैसे हीटवेव, भारी बाढ़ और गंभीर सूखा हर साल हजारों लोगों की जान लेता है. इसके साथ ही ये मानसून प्रधान कृषि वाले देश भारत में उत्पादकता को कम करके आर्थिक कठिनाइयों को बढ़ाता है. साथ ही, यह जीवाश्म ईंधन की मांग को बढ़ाकर और जल विद्युत के स्रोतों को सुखाकर देश की ऊर्जा आपूर्ति पर बोझ डालता है.


गौरतलब है कि आयातित कोयले पर चलने वाले बिजली संयंत्रों को पहले ही गर्मियों के दौरान 3 महीने तक पूरी क्षमता से काम करने के लिए कहा गया है, ताकि ब्लैकआउट से बचने और घरेलू आपूर्ति पर दबाव कम करने में मदद मिल सके. एयर कंडीशनर और सिंचाई पंपों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जेनरेटर अधिक बिजली का उत्पादन कर रहे हैं.


2015 के बाद से हीट वेव से प्रभावित भारतीय राज्यों की संख्या में बढ़ोतरी होती गई. साल 2020 तक ये दोगुनी से अधिक 23 पहुंच गई. देश में आमतौर पर गर्मी के मौसम के सामान्य अधिकतम तापमान के असामान्य तौर पर बढ़ने को हीट वेव कहा जाता है.  


 


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