नई दिल्ली: दोनों सदनों से पास हो जाने के बाद नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल हो गई. ये याचिका इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) ने दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि संविधान धर्म के आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं देता. साथ ही आईयूएमएल ने इस पर तुरंत रोक लगाने की भी मांग की है. कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल इस मामले को लेकर कोर्ट में आईयूएमएल की पैरवी कर सकते हैं.


राज्यसभा में चर्चा के दौरान अमित शाह को जवाब देते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि मौजूदा सरकार दो देशों की थ्योरी सच कर रही है. आप संविधान की बुनियाद को बदल रहे हैं, संविधान की धज्जियां उड़ा रहे हैं. मुझे नहीं पता कि गृह मंत्री ने इतिहास की कौन सी किताबें पढ़ी हैं.


राज्यसभा में बिल पास होने के बाद कपिल सिब्बल ने कहा कि जो हमने विरोध किया सदन में उसका कोई जवाब नहीं आया. हम हिंदू और मुस्लिम देश के विरोध में हैं. बिल पारित हो चुका है और आने वाला समय ही ये बताएगा कि इसका क्या परिणाम होगा. उन्होंने कहा कि जैसे देश जीएसटी, नोटबंदी का खामियाजा भुगत रहा है शायद इसका भी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.


इस  कानून का जहां एक तरफ कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियां विरोध कर रही है तो वहीं केंद्र की मोदी सरकार का कहना है कि बिल कहीं से भी भेदभाव पर आधारित नहीं है.


राज्यसभा में 8 घंटे से ज्यादा चर्चा


राज्यसभा में करीब 8 घंटे से ज्यादा की चर्चा के बाद इस बिल पर वोटिंग हुई, जिसमें ये बिल राज्यसभा से पारित हो गया. बिल के पक्ष में 125 वोट और विरोध में 105 वोट पड़े. देश में कहीं बिल का विरोध हो रहा है तो कहीं लोग जश्न में डूबे नज़र आए.


बिल के पास होने पर जहां, सोनिया गांधी ने काला दिन बताया है वहीं, पीएम मोदी ने सांसदों को बिल पास कराने के लिए बधाई देते हुए कहा कि देश के इतिहास में आज का दिन मील क पत्थर है.


9 दिसंबर को लोकसभा से पास हुआ बिल


9 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ये बिल लोकसभा में पेश किया. लंबी चर्चा और हंगामे के बीच लोकसभा से ये बिल पास हो गया. बिल के समर्थन में 311 और विरोध में 80 वोट पड़े. लोकसभा में वोटिंग के दौरान सबसे दिलचस्प बात यह रही कि शिवसेना ने बिल पेश करने के समर्थन में वोट किया था, लेकिन कल राज्यसभा से उसने वॉक आउट कर दिया.


बिल में क्या है?


नागरिकता संशोधन बिल के कानून बन जाने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध तरीके से निवास करने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा. भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए पात्र होने की समय सीमा 31 दिसंबर 2014 होगी. मतलब इस तिथि के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.


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