Railway Innovation: भारतीय रेलवे ने उच्च गति की ट्रेनों के विकास की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. रेलवे वर्तमान में 280 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने में सक्षम ट्रेन विकसित करने के प्रयास कर रहा है. इसके साथ ही मुंबई-अहमदाबाद के बीच 320 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट्स पर भी काम जारी है. हालांकि आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार किसी भी ट्रेन को ‘हाई स्पीड’ की श्रेणी में रखने के लिए उसकी गति 130 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा होनी चाहिए.
लोको पायलटों की पीरियोडिक मेडिकल चेकअप को लेकर रेलवे बोर्ड और दक्षिण मध्य रेलवे जोन के बीच हुई पत्राचार में रेलवे बोर्ड ने स्पष्ट किया कि केवल 130 किमी प्रति घंटे से ज्यादा गति वाली ट्रेनों को ही ‘उच्च रफ्तार’ ट्रेन माना जाएगा. ये बयान 19 फरवरी 2025 को जारी किया गया था जिसमें मौजूदा गति सीमा के मानकों की पुष्टि की गई.
हाई-स्पीड ट्रेन की परिभाषा में समय-समय पर हुआ संशोधन
सरकारी डॉक्यूमेंट्स के अनुसार 3 जुलाई 1989 तक 110 किमी प्रति घंटे की गति वाली ट्रेन को ‘उच्च रफ्तार’ ट्रेन की श्रेणी में रखा जाता था. इसके बाद इस मानक में बदलाव किया गया और 110 किमी प्रति घंटे से ज्यादा की गति वाली ट्रेनों को ‘हाई स्पीड’ श्रेणी में शामिल किया गया.
130 किमी प्रति घंटे की ट्रेनें हाई-स्पीड की श्रेणी में नहीं
रेलवे बोर्ड ने 24 नवंबर 2020 को जारी एक परिपत्र में सहायक लोको पायलट की जगह सह-पायलट की तैनाती पर विचार किया और इसमें ये स्पष्ट किया गया कि 130 किमी प्रति घंटे तक की अधिकतम अनुमेय गति वाली ट्रेनों को ‘उच्च रफ्तार’ ट्रेन नहीं माना जाएगा. केवल वे ट्रेनें जिनकी गति इससे ज्यादा होगी उन्हें ही हाई-स्पीड ट्रेन की श्रेणी में रखा जाएगा. रेलवे की इस नई नीति से भविष्य में तेज रफ्तार ट्रेनों के संचालन और लोको पायलटों की तैनाती के नियमों में अहम बदलाव आने की संभावना है.