India Maldives Relations: भारत और मालदीव के बीच तनावपूर्ण संबंधों के बीच दोनों देशों ने शुक्रवार (02 फरवरी, 2024) को दूसरे दौर की बातचीत की. माले हिंद महासागर द्वीसमूह से सभी भारतीय सैन्य कर्मियों की वापसी की मांग कर रहा है. इससे पहले 14 जनवरी को इस मामले पर पहले दौर की बातचीत हो चुकी है.


दोनों देशों की ओर से गठित उच्च स्तरीय कोर ग्रुप की माले में पहली बैठक के दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत से 15 मार्च तक सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने के लिए कहा था. उस समय, मालदीव ने एक बयान में कहा था कि दोनों पक्ष कर्मियों की वापसी में तेजी लाने पर सहमत हुए हैं, लेकिन भारतीय पक्ष ने कहा था कि इस मुद्दे पर और चर्चा की जाएगी.


दोनों पक्षों के बीच बने हुए हैं मतभेद


हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय में हुई कोर ग्रुप की बैठक में किसी भी पक्ष की ओर से कोई बयान नहीं आया. हालांकि मामले से परिचित लोगों ने बताया कि इस मामले पर दोनों पक्षों के बीच मतभेद बने हुए हैं. मालदीव का कहना है कि दोनों पक्ष इस मुद्दे के समाधान के लिए कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिसमें सैन्य कर्मियों की संख्या में कमी भी शामिल है.


दुबई में COP28 बैठक के इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति मुइज्जू के बीच एक बैठक के बाद कोर ग्रुप का गठन किया गया था. उधर, मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत और मालदीव के रिश्तों में लगातार तनाव बढ़ा है. मुइज्जू चीन समर्थक और भारत का विरोध करते हैं.


मुइज्जू मालदीव से सैन्य कर्मियों को हटाने की कर रहे मांग


पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव के दौरान इंडिया आउट का अभियान चलाने वाले मुइज्जू ने भारत से मालदीव में तैनात 75 से अधिक सैन्य कर्मियों को वापस बुलाने का आह्वान किया है. इसके साथ ही उन्होंने तुर्की से गेहूं खरीद के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं और चिकित्सा निकासी सेवाओं के लिए मालदीव सरकार श्रीलंका से मदद मांग रही है.


इसके अलावा भारत से संबंध खराब होने के बाद उन्होंने चीन से ज्यादा से ज्यादा संख्या में टूरिस्ट भेजने की भी अपील की. जबकि पिछले कई सालों से भारत टूरिस्टों के नजरिए से मालदीव का मुख्य सोर्स रहा है.  


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