Indian Army Future Soldier: एलएसी पर चीन से चल रहे विवाद के बीच भारतीय सैनिकों को फ्यूचर-सोल्जर बनाने को लेकर बड़ी पहल की गई है. इसके अलावा पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के फास्ट मूवमेंट के लिए टाटा कंपनी की बख्तरबंद गाड़ियां और पैंगोंग-त्सो लेक में आक्रमण करने वाली खास बोट भी भारतीय सेना को मुहैया कराई गई हैं. मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक खास कार्यक्रम में थलसेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को फ्यूचर सोल्जर की एके-203 राइफल, आधुनिक उपकरण, असॉल्ट बोट्स और बख्तरंबद गाड़ियां सौंपी. 


राजधानी दिल्ली के साऊथ ब्लॉक (रक्षा मंत्रालय बिल्डिंग) में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसके अलावा थलसेना प्रमुख को देश में ही विकसित सैन्य उपकरण और प्रणालियां सौंपीं. इनमें नई जेनरेशन की एंटी-पर्सनल लैंडमाइन्स 'निपुण', स्वचालित संचार प्रणाली, टैंकों के लिए उन्नत साइट-सिस्टम और एडवांस्ड थर्मल इमेजर शामिल हैं. 


सीमा पर भारत अब और हुआ मजबूत


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विश्वास व्यक्त किया है कि ये सभी सैन्य उपकरण और सिस्टम भारतीय सेना की ऑपरेशनल तैयारियों को बढ़ाएंगी और उनकी दक्षता में इजाफा करेंगी. उन्होंने कहा कि यह निजी क्षेत्र और अन्य संस्थानों के साथ साझेदारी में देश की बढ़ती आत्मनिर्भरता कौशल का एक शानदार उदाहरण है. रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि सशस्त्र सेनाओं की बुनियादी ढांचागत जरूरतें लगातार बदलते समय के साथ बढ़ रही हैं. उन्होंने भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए सशस्त्र सेनाओं को तैयार रहने में मदद करने के लिए नवीनतम तकनीक पर आधारित इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास का आह्वान किया. उन्होंने सशस्त्र सेनाओं से बेहतरी के लिए प्रयास करने और राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को समर्पित करने का आग्रह किया.


भारतीय सेना को सौंपे गए उपकरणों और प्रणालियों का विवरण इस प्रकार है-


फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर एज ए सिस्टम


फ्यूचर इन्फैंट्री सोल्जर (Future Infantry Soldier) को तीन प्राथमिक उप प्रणालियों से लैस किया गया है. पहली उप प्रणाली दिन और रात होलोग्राफिक और रिफ्लेक्स साइट्स के साथ एके-203 जैसी असॉल्ट राइफल है. ऑपरेशन के दौरान 360 डिग्री दृश्यता और सटीकता को सक्षम करने के लिए हथियार और हेलमेट पर खास लैंस और कैमरे लगे हैं. असॉल्ट राइफल के अलावा, सैनिकों को मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड के साथ भी सुसज्जित किया जाएगा. 


इसके अलावा मल्टी पर्पस स्वदेशी नाइफ (चाकू) भी फ्यूचर सोल्जर को दिया जाएगा. दूसरी उप प्रणाली प्रोटेक्शन सिस्टम है. यह विशेष रूप से डिजाइन किए गए हेलमेट और बुलेट प्रूफ जैकेट के माध्यम से सुरक्षा प्रदान करती है. तीसरी उप-प्रणाली में संचार और निगरानी सिस्टम शामिल है. इस एफ-इनसास प्रणाली को डेटा कनेक्टिविटी से रियल टाइम से जोड़कर और एडवांस बनाया जा सकता है.


लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (एलसीए)


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गोवा के एक्युरिस शिपयार्ड द्वारा तैयार की लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट (LCA) बोट्स को भी थलसेना प्रमुख को सौंपा. इन बोट्स को खास तौर से पैंगोंग-त्सो झील में पैट्रोलिंग और उससे सटे इलाकों में हमला करने के मकसद से सेना को सौंपी गई है. दरअसल, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलएसी विश्व-प्रसिद्ध पैंगोंग-त्सो झील के बीच से होकर गुजरती है. करीब 140 किलोमीटर लंबी इस झील का दो-तिहाई हिस्सा चीन के हिस्से में है और एक तिहाई पर भारत का अधिकार है. लेकिन एलएसी स्थाई रूप से डिमार्क यानि निश्चित ना होने के चलते चीनी सैनिक झील के साथ साथ उससे सटे इलाकों में घुसपैठ करने की फिराक में रहते हैं.


ऐसे में पैंगोंग-त्सो झील में पैट्रोलिंग बेहद जरूरी है. हालांकि अभी भी भारतीय सेना और आईटीबीपी के पास पैट्रोलिंग बोट्स हैं लेकिन उनकी सीमित क्षमताएं हैं. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट बहुत अधिक बहुमुखी है और लॉन्च, गति और क्षमता की कमियों को दूर कर चुका है. इसने पूर्वी लद्दाख में जलीय बाधाओं को पार करने की क्षमता को बढ़ाया है. लैंडिंग क्राफ्ट असॉल्ट को मैसर्स एक्वेरियस शिप यार्ड लिमिटेड, गोवा द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है.


एलसीए बोट्स क्यों है खास?


इन एलसीए बोट्स में करीब 35 सैनिक सवार होकर ऑपरेशन के लिए जा सकते है. दरअसल पैंगोंग झील में असॉल्ट ऑपरेशन का मतलब ये है कि अब कभी भी पैट्रोलिंग के दौरान भारतीय सेना का सामना अगर चीनी सेना से साथ होता है और हालात बेकाबू हो जाते हैं तो रिइनफोर्समेंट के लिए जमीन पर रास्ते के बजाए इन लैंडिंग क्राफ़्ट असॉल्ट बोट के जरिए पहुंचा जा सकता है. इससे पहले भारतीय बोट की क्षमता और स्पीड सीमित थी और पूर्वी लद्दाख में इस बोट के आने के बाद से भारतीय सेना की ताक़त में इजाफा होगा.


इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल (आईपीएमवी)


इन्फैंट्री प्रोटेक्टेड मोबिलिटी व्हीकल (IPMV) उत्तरी सीमाओं पर तैनात बड़ी संख्या में पैदल सेना के सैनिकों को गतिशीलता और अधिक सुरक्षा प्रदान करता है. इसे मैसर्स टाटा एडवांस सिस्टम्स लिमिटेड ने बनाया है.


क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (मीडियम)


पूर्वी लद्दाख में हमारे सैनिकों की मूवमेंट को तेज करने के लिए इन्फेंट्री मोबिलिटी संरक्षित वाहन के साथ दूसरा वाहन क्विक रिएक्शन फाइटिंग व्हीकल (मीडियम) यानि मध्यम त्वरित प्रतिक्रिया लड़ाकू वाहन है. यह सैनिकों की त्वरित तैनाती की सुविधा प्रदान करता है और बहुत तेज प्रतिक्रिया को सक्षम करेगा. इन वाहनों की खरीद टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड की ओर से की गई है. ये उच्च गतिशीलता, बढ़ी हुई मारक क्षमता और सुरक्षा के साथ अनुकूलित वाहन हैं. यह चीन से सटी उत्तरी सीमाओं में व्यावहारिक प्रभुत्व बनाने में सुविधा प्रदान करेगा.


एंटी-पर्सनल माइन 'निपुण'


लंबे समय से भारतीय सेना विंटेज एनएमएम 14 माइन्स का इस्तेमाल कर रही है. आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान, पुणे और भारतीय उद्योग के प्रयासों से ,'निपुण' (Nipun Mines) नामक एक नई भारतीय सुरंग या माइन्स विकसित की गई है. यह सीमाओं पर सैनिकों को प्रदान की जाने वाली सुरक्षा को बढ़ाएगा. यह सुरंग मौजूदा कार्मिक रोधी सुरंग की तुलना में अधिक शक्तिशाली और प्रभावी है.


हैंड हेल्ड थर्मल इमेजर (अनकूल्ड)


यह उपकरण निगरानी और पता लगाने के लिए है. यह दुश्मन की आवाजाही और गतिविधियों का पता लगाने के लिए सैनिकों को दिन और रात दोनों में और प्रतिकूल मौसम की स्थिति में दृश्यता प्रदान करता है.


टैंक टी -90 के लिए कमांडर थर्मल इमेजिंग साइट


यह उपकरण कवचित टुकड़ियों के कमांडरों को बढ़ी हुई दृश्यता और रेंज प्रदान करता है. इससे पहले, टी-90 टैंकों में छवि गहनता प्रणाली थी जिसकी अपनी सीमाएं और बाधाएं थीं. इंडिया ऑप्टेल लिमिटेड द्वारा उत्पादित थर्मल इमेजिंग दृष्टि के उपयोग से इन कमियों को दूर किया गया है.


रिकॉर्डिंग सुविधा के साथ डाउनलिंक उपकरण


यह डाउनलिंक उपकरण हेलीकॉप्टर को सीमाओं और परिचालन क्षेत्रों की निरंतर टोह और निगरानी करने में मदद करता है. मिशन पर रहते हुए निगरानी वाला डेटा सिस्टम में दर्ज हो जाता है और केवल तभी एक्सेस किया जा सकता है, जब हेलीकॉप्टर बेस पर लौटता है. मैसर्स एक्सीकॉम प्राइवेट लिमिटेड द्वारा स्वदेशी रूप से उत्पादित इस उपकरण को उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर पर लगाया जाता है.


सेमी रगेडाइज्ड ऑटोमेटिक एक्सचेंज सिस्टम मेक-II


भारतीय सेना के पास जो फिलहाल टेलीफोन एक्सचेंज थे, वे परिचालन रूप से तैनात यूनिटों को लाइन संचार प्रदान करते थे. हालांकि, ग्राहकों की संख्या और डेटा की मात्रा के संदर्भ में इनकी अपनी सीमाएं थीं. इसके अलावा, ये सिस्टम नवीनतम इंटरनेट प्रोटोकॉल तकनीक के साथ काम नहीं कर सकता था. लेकिन कोटद्वार (उत्तराखंड) स्थित भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड द्वारा एक नई प्रणाली विकसित की गई है, जो पुरानी प्रणाली की सभी कमियों को दूर करती है.


अपग्रेडेड रेडियो रिले (फ्रीक्वंसी होपिंग)


चुनौतीपूर्ण अग्रिम क्षेत्रों में, जहां कोई लाइन या संचार के अन्य रूप उपलब्ध नहीं हैं, भारतीय सेना को अपनी संचार प्रणाली का विस्तार करना होगा. इस रेडियो रिले प्रणाली के साथ, अग्रवर्ती क्षेत्रों में तैनात सैनिक अपने संचार उपकरण और रेडियो सेट को बहुत लंबी दूरी पर और अब तक की तुलना में अधिक गहराई में संचालित करने की स्थिति में हैं. यह फ्रीक्वेंसी होपिंग तकनीक और अति उच्च क्षमता के साथ एक एडवांस प्रणाली है. इसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु द्वारा विकसित किया गया है.


सौर फोटोवोल्टिक ऊर्जा परियोजना


देश के सबसे चुनौतीपूर्ण इलाके और परिचालन क्षेत्रों में से एक सियाचिन ग्लेशियर है. विभिन्न उपकरणों को संचालित करने के लिए क्षेत्र में पूर्ण बिजली की आवश्यकता को कैप्टिव जनरेटर सप्लाई के माध्यम से ही पूरा किया गया था. समग्र ऊर्जा आवश्यकताओं में सुधार करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के लिए एक सौर फोटोवोल्टिक संयंत्र स्थापित किया गया है. परतापुर में इस संयंत्र को रक्षा मंत्री द्वारा ऑनलाइन राष्ट्र को समर्पित किया गया.


मिनी रिमोटली पायलेटेड एरियल सिस्टम (आरपीएएस)


मिनी रिमोटली पायलेटेड एरियल सिस्टम यानी आरपीएएस (RPAS) सामरिक स्तर पर भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के विमानों और हैरोन अनमैन्ड एरियल व्हीकल्स द्वारा सामना की जाने वाली परिचालन बाधाओं को दूर करता है. यह इन्फैंट्री बटालियन और मशीनीकृत यूनिटों के स्तर पर निगरानी, पहचान और टोही के लिए प्रतिबंधित क्षमता को दूर कर भारतीय सेना (Indian Army) को सशक्त बनाता है.


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