पुलवामा अटैक का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने सीमा पार जाकर पाकिस्तान में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण शिविर पर बमबारी कर तबाह कर दिया था. इसे बालाकोट एयरस्ट्राइक नाम दिया गया. सेना ने जैश के आतंकी शिविरों के परखच्चे उड़ा दिए थे. हालांकि, स्ट्राइक में मिग-21 के विंग कमांडर को पाकिस्तानी सेना ने कब्जे में ले लिया और एक हफ्ते के अंदर ही उन्हें वापस ले आया गया था. उस वक्त भारतीय सेना में ऑपरेशनल डेटा लिंक (ODL) की कमी थी, जिसकी वजह से अभिनंदन ग्राउंड से भेजे जा रहे संदेश को सुन नहीं पा रहे थे. इस घटना को 5 साल बीत गए हैं और इन सालों में भारतीय सेना इस कमी को भी दूर कर लिया है.


भारतीय वायु सेना के तत्कालीन एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने भी एक डिफेंस मैग्जीन में यह बात स्वीकार की थी कि 27 फरवरी को ऑपरेशनल डेटा लिंक की कमी ने सेना के ऑपरेशन में बाधा डाली थी. उस समय पाकिस्तान की वायु सेना के पास बेहतर इलेक्ट्रॉनिक युद्ध जैमर था, जिसने भारतीय लड़ाकू विमान सुखोई और मिराज के बीच कम्युनिकेशन को ब्लॉक कर दिया था. इस वजह से ग्राउंड से विमानों को संदेश नहीं मिल पा रहे थे और इनका एक-दूसरे से भी कम्युनिकेशन नहीं हो पा रहा था. उस समय पीएएफ ने स्वेदेशी रूप से विकसित लिंक-17 का इस्तेमाल किया था.  


एक सूत्र ने यूरेशियन टाइम्स को इसकी पुष्टि की कि भारतीय सेना के पास हवा से जमीन और जमीन से हवा में कम्यूनिकेशन का नेटवर्क तो था, लेकिन हवा से हवा के नेटवर्क में पिछड़ गए. उन्होंने बताया कि भारत ने इसे न तो किसी और देश से आयात किया और न ही देश में इसको विकसित किया गया.


5 साल में भारतीय सेना ने कैसे किया कमी को दूर
पीएएफ के ऑपरेशनल स्विफ्ट रिटॉर्ट के बाद भारतीय वायु सेना ने इजरायल से बीएनईटी सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो (SDR) की खरीद में तेजी लाई और इन्हें अपने विमान के बेड़े में शामिल किया. मिराज-2000, मिग-19 और सुखोई-30 लड़ाकू विमानों के लिए सेना ने इजरायली कंपनी राफेल से एसडीआर की आपातकालीन खरीद की थी.


हैदराबाद स्थित एस्ट्रा माइक्रोवे प्रोडक्ट्स लिमिटेड और राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम लिमिटेड  ने भारतीय वायुसेना को बीएनईटी-एआर एसडीआर की आपूर्ति करने के लिए एक कंपनी बनाई है. इसका नाम एस्ट्रा राफेल कॉमसिस प्राइवेट लिमिटेड (ARC) नाम रखा गया है, जो बीएनईटी-एआर एसडीआर के संचालन से संबंधित उत्पादन, बिक्री समेत अन्य गतिविधियों को संभालेगी.


क्या होता है ऑपरेशनल डेटा लिंक
एसडीआर हवा में लड़ाकू विमानों के बीच सुरक्षित कम्युनिकेशन सुनिश्चित करने के साथ इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग की स्थिति में कम्यूनिकेशन बलॉकिंग को भी दूर करेगा. यह सुरक्षित डेटा लिंकिंग प्रदान करेगा. इससे हवा और जमीन पर सैनिकों को एक-दूसरे की स्थिति का पता रहेगा. ऑपरेशनल डेटा लिंक से फाइटर जेट्स के बीच कम्यूनिकेशन का नेटवर्क तैयार किया जाता है, जिस पर इलेक्ट्रिक जैमर का असर नहीं पड़ता है. फाइटर जेट हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने वाले देश के विमान की पहचान करता है. इसके लिए वह Allying Airbore Early Warning and Control (AEW&C) का इस्तेमाल करता है, जो ग्राउंड से रडार के जरिए मिल रहे डेटा का इस्तेमाल करता है. इससे देश के लड़ाकू विमानों के बीच कम्यूनिकेशन स्थापित होता है और इस तरह दुश्मन के हमले से बचा जा सकता है.


एसके भदौरिया ने विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम का जिक्र करते हुए यह भी कहा था कि अगर आप इसमें नहीं जीते तो युद्ध नहीं जीत सकते. विद्युत चुंबकीय स्पेक्ट्रम एक तरह का अदृश्य मैदान होता है, जहां गोलियों और बम से हमले नहीं होते, बल्कि ऊर्जा और सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है. यह किसी बल को दुश्मन के खिलाफ असममित लाभ प्राप्त करने के लिए सक्षम बनाता है.


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