नई दिल्ली: चीन और पाकिस्तान से तल्ख संबंधों के चलते भारतीय सेना ने रूस में होने वाली मल्टीनेशनल एक्सरसाइज (कवकाज़‌ या कवकज़) से अपना नाम वापस ले लिया है. माना जा रहा है कि एलएसी पर चीन के साथ मई के महीने से जो युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं, उसी के चलते भारतीय सेना, चीन और पाकिस्तान के साथ युद्धाभ्यास नहीं करना चाहती है.


आपको बता दें कि रूस के कॉकसस रिजन के अस्त्रखान में 15-27 सितबंर के बीच मल्टीनेशनल एक्सरसाइज, 'कवकाज़-2020' होने जा रही है‌. रूस ने इस युद्धाभ्यास में एससीओ यानि शंघाई कॉपरेशन ऑर्गेनाइजेशन के सदस्य देशों सहित अपने मित्र-देशों की सेनाओं को आमंत्रित किया था. एससीओ में भारत, रूस, चीन और पाकिस्तान सहित कुल 08 देश हैं.


भारत ने पहले भर दी थी हामी


करीब 15 दिन पहले भारत ने इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेने के लिए हामी भर दी थी और अपनी सैन्य टुकड़ी भेजने की घोषणा भी कर दी थी. रूस के कॉकसस रिजन में होने वाली कवकॉज एक्सरसाइज को 'कॉकसस-2020' के नाम से भी जाना जाता है. भारत की तरफ से सेनाओं के तीनों अंगों (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की टुकड़ी इस युद्धाभ्यास में  हिस्सा लेने रूस जा रही थी.



यहां तक की 25 अगस्त को रूस के वॉल्गोग्राड में हुई कवकज़ एक्सरसाइज की हेडक्वार्टर-स्तर की मीटिंग में मास्को स्थित भारतीय दूतावास में तैनात सैन्य-अधिकारियों ने शिरकत भी की थी. उस दौरान रूसी रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर से जानकारी दी थी कि एक्सरसाइज के लिए हुई बैठक में रूस के अलावा भारत, पाकिस्तान, ईरान, म्यांमार, बेलारूस के सैन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया था. उस वक्त तक चीनी सेना ने हिस्सा नहीं लिया था.


माना जा रहा है कि क्योंकि अब चीनी सेना भी इस एक्सरसाइज में हिस्सा ले रही है इसीलिए भारतीय सेना ने कवकॉज एक्सरसाइज से अपना नाम वापस ले लिया है.


रक्षा मंत्रालय ने जारी किया आधिकारिक बयान

देर शाम रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक बयान जारी कर कवकज़ एक्सरसाइज में हिस्सा ना लेने का कारण बताया. मंत्रालय ने कहा कि
भारत और रूस करीबी और स्पेशल स्ट्रेटेजिक पार्टनर हैं. रूस के निमंत्रण पर भारत कई अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में भाग लेता रहा है. हालांकि, कोविड महामारी की व्यवस्था और इसके परिणामस्वरूप होने वाली कठिनाइयों के मद्देनजर, भारत ने इस साल केवज़ 2020 में हिस्सा ना लेने का फैसला किया है. रूस‌ को इस बारे में सूचित कर दिया गया है.

भारत-चीन के बीच जारी है तनाव


ये एक्सरसाइज ऐसे समय में हो रही है जब पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले 115 दिनों से टकराव चल रहा है और गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष हो‌ चुका है. दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनयिक स्तर पर बातचीत भी चल रही है, लेकिन तनातनी जारी है.


दोनों देशों ने 3488 किलोमीटर लंबी पूरी एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर बड़ी तादाद में सैनिक, टैंक, तोप, मिसाइल और हैवी मशीनरी का जमावड़ा कर रखा है, जिससे हालात युद्ध जैसे बन गए हैं. भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ यानि सीडीएस, जनरल बिपिन रावत भी दो टूक कह चुके हैं कि अगर बातचीत फेल होती है तो भारत के पास "सैन्य कारवाई का विकल्प" बचा हुआ है. साथ ही पाकिस्तान से भी हमेशा से एलओसी पर तनातनी चलती रहती है. ऐसे में भारत ने कवकाज़ एक्सरसाइज से नाम वापस ले लिया है. हालांकि, कोविड महामारी भी इसका कारण बताया जा सकता है.


हर साल रूस करता है मल्टीनेशनल एक्सरसाइज


आपको बता दें कि वर्ष 2018 में रूस के चेबरकुल (चेलयाबिंसक रिजन) में हुई एस‌सीओ एक्सरसाइज के बाद से ही रशिया हर साल एक मल्टीनेशनल एक्सरसाइज करता है.‌ पहली बार भारत ने 2018 में ही इस मल्टीनेशनल एक्सरसाइज में हिस्सा लिया था जिसमें भारत के दोनों पड़ोसी (और दुश्मन देश), चीन और पाकिस्तान ने भी हिस्सा‌ लिया था.



इसके बाद से रूस ने इस एससीओ एक्सरसाइज में अपने दूसरे मित्र-देश (ईरान, म्यांमार, तुर्की इत्यादि) को भी जोड़ लिया था. पिछले साल यानि 2019 में रूस की टी-सेंटर एक्सरसाइज में भी भारत-चीन-पाकिस्तान सहित करीब एक दर्जन देशों ने हिस्सा लिया था. लेकिन उस वक्त भारत के पाकिस्तान से संबंध तल्ख जरूर थे लेकिन चीन के साथ ऐसे हालात नहीं थे कि परिस्थितियां युद्ध में तब्दील हो जाएं. यही वजह है कि भारत ने इस‌ बार कवकाज़ युद्धाभ्यास से अपना नाम वापस ले लिया है.


वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच जब डोकलम विवाद हुआ था तब भी दोनों देशों ने द्विपक्षीय युद्धाभ्यास, 'हैंड इन हैंड' रद्द कर दिया था. लेकिन दोनों देशों की सेनाओं ने 2018 में एससीओ एक्सरसाइज में जरूर हिस्सा लिया था.


यहां ये बात दीगर है कि अगले हफ्ते रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने रूस जाने वाले हैं. उसके कुछ दिन बाद ही विदेश मंत्री एस‌. जयशंकर भी एससीओ देशों को विदेश मंत्रियों की मीटिंग में शिरकत करने मास्को जाने वाले हैं.


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