India Vs Bharat Controversy: देश के नाम को लेकर विवाद उठ खड़ा हुआ है. इस विवाद की शुरुआत कांग्रेस के उस आरोप से हुई है, जिसमें कहा गया कि जी20 समिट के डिनर के निमंत्रण पत्र में President Of Bharat लिखा है, जबकि इसे President Of India होना चाहिए. इसके साथ ही एक चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मोदी सरकार देश का नाम बदलने वाली है? विपक्ष इस पर हमलावर है.


कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर लिखा, "तो ये खबर वाकई सच है. राष्ट्रपति भवन ने 9 सितंबर को जी20 रात्रिभोज के लिए सामान्य 'प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया' की बजाय 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' के नाम पर निमंत्रण भेजा है. अब संविधान का अनुच्छेद 1 पढ़ा जा सकेगा कि 'भारत, जो इंडिया था, राज्यों का एक संघ होगा'. अब इस 'राज्यों के संघ' पर भी हमला हो रहा है.''


क्या देश के नाम से 'इंडिया' हटाने वाली है मोदी सरकार? 


केंद्र सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया है. समाचार एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि संसद के विशेष सत्र में सरकार 'इंडिया' शब्द हटाने के प्रस्ताव से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है.


वहीं बीजेपी सांसद हरनाम सिंह ने कहा, 'पूरा देश मांग कर रहा है कि हमें इंडिया की जगह भारत शब्द का इस्तेमाल करना चाहिए. अंग्रेजों ने इंडिया शब्द को एक गाली के तौर पर हमारे लिए इस्तेमाल किया, जबकि भारत शब्द हमारी संस्कृति का प्रतीक है. मैं चाहता हूं कि संविधान में बदलाव होना चाहिए और भारत शब्द को इसमें जोड़ना चाहिए.'


बयानबाजी के उलट आइए जानते हैं कि देश के संविधान में इसके नाम को लेकर क्या कहा गया है. संविधान विशेषज्ञों ने भारत नाम को कैसे स्वीकार किया और वे कौन से नाम थे, जिन पर संविधान सभा ने विचार किया था.


संविधान में क्या है देश का नाम? 


देश के संविधान के अनुच्छेद-1 में ही देश के नाम का जिक्र है. इसमें कहा गया है कि "इंडिया, जो कि भारत है, राज्यों का एक संघ होगा" (India, that is Bharat, shall be a Union of States). संविधान में ये इकलौता प्रावधान है जिसमें बताया गया है कि देश को आधिकारिक तौर पर क्या बुलाया जाएगा. इसी के आधार पर हिंदी में देश को 'भारत गणराज्य' और अंग्रेजी में 'Republic of India' लिखा जाता है.


संविधान में कैसे रखा गया नाम?


18 सितंबर 1949 को संविधान सभा की बैठक के दौरान नए बने राष्ट्र के नामकरण पर सभा के सदस्यों ने चर्चा की थी. इस दौरान सभा के सदस्यों की तरफ से विभिन्न नामों के सुझाव आए- भारत, हिंदुस्तान, हिंद, भारतभूमिक, भारतवर्ष. अंत में संविधान सभा ने फैसला लिया जिसमें 'अनुच्छेद-1. संघ का नाम और क्षेत्र' शीर्षक दिया गया.


अनुच्छेद 1.1 में लिखा गया- इंडिया, जो कि भारत है राज्यों का संघ होगा. अनुच्छेद 1.2 में कहा गया- राज्य और उनके क्षेत्र पहली अनुसूची में निर्दिष्ट अनुसार होंगे.


अनुच्छेद 1.1 पारित होने को लेकर विरोध


संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने वर्तमान नाम में शामिल विराम चिह्नों पर आपत्ति जताई थी. एचवी कामथ ने संविधान सभा में नाम को लेकर एक संशोधन पेश करते हुए कहा कि अनुच्छेद 1.1 में पढ़ा जाना चाहिए- भारत या, अंग्रेजी भाषा में इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा. इसके साथ ही नाम को लेकर कुछ अन्य आपत्तियां भी थीं, लेकिन 26 नवम्बर 1949 को संविधान के साथ ही अनुच्छेद 1.1 अपने मूल रूप में पारित हो गया.


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