भारत की हवाई ताकत को नई रफ्तार मिलने वाली है. भारतीय वायुसेना और रूस के बीच R-37M बेहद लंबी दूरी वाली एयर-टू-एयर मिसाइल के लिए होने वाला समझौता अंतिम चरण में पहुंच चुका है. The Week की रिपोर्ट के मुताबिक लगभग 300 मिसाइलें खरीदी जाएंगी और आने वाले 12 से 18 महीनों में इनकी आपूर्ति भी शुरू हो सकती है. ये मिसाइलें भारतीय लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी.
भारत के पास पहले से ही ब्रह्मोस मिसाइल है. इसके बाद भारतीय वायु सेना ने R-37M मिसाइल के अधिग्रहण का फैसला किया. इसकी रेंज 300 किलोमीटर से भी ज्यादा है, जो दुनिया में सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों में गिनी जाती है. यह मिसाइल मैक 6 (7400 kmph) की हाइपरसोनिक स्पीड से उड़ती है और दुश्मन के AWACS, टैंकर और हाई-वैल्यू टारगेट्स को पलक झपकते ही तबाह कर सकती है. भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस मिसाइल का इस्तेमाल किया था, जिसकी स्पीड 3700 kmph है, जो सुपरसोनिक की श्रेणी में आता है. इस लिहाज से देखा जाए तो R-37M मिसाइल एक अच्छा विकल्प है और दुश्मन के ठिकानों को पलक झपकते ही खत्म किया जा सकता है.
R-37M की धमाकेदार तकनीक
यह मिसाइल खासतौर पर Su-30MKI जैसे बड़े और तेज लड़ाकू विमानों के लिए बनाई गई है. इसमें एक्टिव रडार सीकर लगा है, जो टारगेट को अंतिम समय तक लॉक करके रखता है. इसमें लगा 60 किलो का शक्तिशाली वारहेड दुश्मन के किसी भी हाई-वैल्यू प्लेटफॉर्म को खत्म करने के लिए पर्याप्त है.
Su-30MKI में आसानी से फिट होगी यह मिसाइल
भारतीय Su-30MKI और रूसी Su-30SM एक ही फैमिली के विमान हैं, इसलिए R-37M को भारतीय फाइटर जेट में जोड़ने के लिए बड़े बदलाव करने की जरूरत नहीं होगी. सिर्फ मिशन कंप्यूटर और Bars रडार में सॉफ्टवेयर अपग्रेड से यह मिसाइल पूरी क्षमता से काम करने लगेगी. हर एक Su-30MKI पर दो R-37M मिसाइल लगाई जाएंगी, जबकि अन्य फाइटर जेट पर Astra या R77 जैसी मिसाइलें इस्तेमाल में रहेंगी.
दुश्मन के AWACS को गिराने की भारत की क्षमता बढ़ेगी
इस मिसाइल का मुख्य लक्ष्य दुश्मन की वह तकनीक हैं, जो युद्ध की दिशा बदल देती हैं. ये खासकर AWACS, एयर-टैंकर, जामिंग प्लेटफॉर्म को निशाना बनाने में काम आ सकती है. R-37M भारत को यह शक्ति देगी कि वह दुश्मन की आंख और कान यानी AWACS को युद्ध के मैदान में दाखिल होने से पहले ही नष्ट कर सके.
भारत और रूस की साझेदारी में बनी ब्रह्मोस
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस की साझेदारी में बना ऐसा हथियार है, जिसने दुनियाभर की सैन्य ताकतों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. इसका नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी को जोड़कर रखा गया, जो दो देशों की तकनीकी एकता का प्रतीक है. तेज़ी, सटीकता और भरोसेमंद मारक क्षमता की वजह से ब्रह्मोस को आज दुनिया की सबसे खतरनाक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में गिना जाता है.
रेंज और क्षमता
ब्रह्मोस मिसाइल जमीन, समुद्र और हवा तीनों माध्यमों से दागी जा सकती है, इसलिए इसे किसी भी सैन्य ऑपरेशन में आसानी से शामिल किया जा सकता है. मौजूदा संस्करण लगभग 450 किलोमीटर तक सटीक वार करता है. नए अपग्रेड के बाद इसकी रेंज 800 किलोमीटर तक पहुंचाई जा रही है, जिससे यह दुश्मन के इलाके में अंदर तक प्रहार कर सके. मिसाइल मैक 2.8 मैक 3700 KMPH की स्पीड से उड़ती है.
विस्फोटक शक्ति जो युद्ध का पासा बदल दे
ब्रह्मोस में लगाए जाने वाले हाई-एक्सप्लोसिव वारहेड का वजन लगभग 200 से 300 किलो तक होता है. यह किसी भी लक्ष्य जैसे बंकर, सैन्य मुख्यालय, जहाज या मिसाइल लॉन्च स्टेशन को कुछ ही सेकंड में ध्वस्त कर सकती है.
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