भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी नहीं करने पर राजी हो गए हैं. दोनों देशों के बीच 2003 का युद्धविराम समझौता अब सख्ती से लागू होगा. युद्धविराम के लिए नए सिरे से समझौता हुआ है. कल दोनों देशों के डीजीएमओ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन के बीच बात हुई जिसमें युद्धविराम पर नए सिरे से सहमति बनी है. ये बातचीत भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह संघा और पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल नुमान जकरिया के बीच हुई.


दोनों देशों ने कहा है कि युद्धविराम का समझौता सख्ती से लागू होगा और दोनों देश इसे मानेंगे. भारत और पाकिस्तान के बीच 2003 से युद्धविराम लागू है. साल 2003 में प्रधानमंत्री वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति मुशर्रफ के बीच ये समझौता हुआ था, लेकिन पाकिस्तान की तरफ से इसका उल्लंघन होता रहा है.


सीजफायर उल्लंघन में 44 फीसदी की वृद्धि
दिल्ली में सेना दिवस समारोह के दौरान आर्मी चीफ जनरल नरवणे ने बताया था कि एलओसी पर पाकिस्तान द्वारा सीजफायर उल्लंघन में लगभग 44 फीसदी की वृद्धि हुई है. गत वर्ष 28 दिसंबर तक, पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन की 4,700 घटनाओं को अंजाम दिया, जो पिछले 17 सालों में सबसे अधिक है.


2019 में, युद्धविराम उल्लंघन की 3168 घटनाएं हुईं. दिलचस्प बात यह है कि 3,168 संघर्ष विराम उल्लंघनों में से 1,551 अगस्त के बाद हुए हैं. सुरक्षा प्रतिष्ठान ने यह पाया है कि पिछले साल अगस्त में सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है. 2018 में, पाकिस्तान ने संघर्ष विराम उल्लंघन की 1629 घटनाओं को अंजाम दिया.


सेना प्रमुख ने बताया कि पिछले साल आतंकवाद-रोधी अभियानों में लगभग 200 आतंकवादी मारे गए. पूर्वोत्तर राज्यों की स्थिति के बारे में बात करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि पिछले एक साल में लगभग 600 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया और भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए. उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद रोधी ग्रिड के मजबूत होने से जम्मू और कश्मीर घाटी में आतंकी गतिविधियों में कमी आई है.


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