PM Modi Nepal Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुद्ध जयंती के पवित्र मौके पर नेपाल जा रहे हैं. 16  मई को पांच घंटे से कम की उनकी यह यात्रा दोनों मुल्कों के बीच सदियों पुराने रिश्तों को सींचने के साथ-साथ भविष्य की साझेदारी का रोडमैप भी तय करेगी. प्रधानमंत्री मोदी 16 मई की सुबह दिल्ली से लुंबिनी रवाना होंगे मगर रास्ते में उनके विमान का पड़ाव उत्तर प्रदेश का कुशीनगर होगा. यह वो जगह है जहां भगवान बुद्ध ने अपनी देह त्यागी थी. कुशीनगर से ही पीएम मोदी बुद्ध के जन्म स्थान लुंबिनी जाएंगे.


लुंबिनी पहुंचने पर पीएम मोदी अपने दौरे की शुरुआत माया देवी मंदिर में दर्शन के साथ करेंगे. यह मंदिर वो जगह है जहां गौतम बुद्ध का सिद्धार्थ के तौर पर जन्म हुआ था और इस बात की पुष्टि सम्राट अशोक का 249 ईसा में स्थापित स्तंभ करता है.


प्रधानमंत्री ने नवंबर 2014 में अपनी पिछली नेपाल यात्रा के दौरान इस मंदिर के लिए बोधगया के बोधिवृक्ष का एक पौधा भेंट किया था. साथ ही इस बात की घोषणा भी की थी कि वो जल्द ही लुंबिनी भी जाएंगे. हालांकि पीएम मोदी का यह संकल्प आठ साल बाद अब पूरा होने जा रहा है.


माया देवी मंदिर में दर्शन के बाद पीएम मोदी लुंबिनी के मोनास्टिक जोन में एक बौद्ध सांस्कृतिक और संपदा केंद्र के शिलान्यास कार्यक्रम में भी शामिल होंगे. भारत में मौजूद इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कन्फेडरेशन इस केंद्र का निर्माण कर रहा है. भारत की मदद से बनाया जाने वाला यह नया केंद्र लुंबिनी मोनास्टिक जोन के पश्चिमी हिस्से में बनाया जाएगा. मोनास्टिक जोन वह इलाका है जहां विभिन्न देशों ने नेपाली जमीन पर अपने बौद्ध केंद्र बनाए हैं.


अपने आठ सालों के कार्यकाल में पांचवीं बार नेपाल यात्रा पर जा रहे पीएम मोदी महज डेढ़ महीने के अंतराल में नेपाली प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करेंगे. नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर 1 से 3 अप्रैल को भारत यात्रा पर आए थे और इस दौरान वाराणसी भी गए थे. विदेश मंत्रालय के मुताबिक, इतने कम समय में ही भारत की तरफ से भी यात्रा हो रही है. यह बताता है कि दोनों देशों के रिश्ते तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.


महज कुछ घंटों के नेपाल दौरे में पीएम मोदी नेपाली प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से अप्रैल में हुई अपनी द्विपक्षीय बातचीत के सिलसिले को आगे बढ़ाएंगे. वार्ता के एजेंडा में जलविद्युत विकास, साझेदारी और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दे शामिल होंगे.


लुंबिनी यात्रा के अपने अंतिम कार्यक्रम में पीएम मोदी और उनके नेपाली समकक्ष देउबा नेपाल सरकार की ओर से आयोजित बुद्ध जयंती कार्यक्रम में शरीक होंगे. आयोजन में बौद्ध भिक्षु और विद्वान शामिल होंगे. पीएम मोदी इस सभा को संबोधित भी करेंगे.


विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा के मुताबिक, पीएम की यह यात्रा रिश्तों में सकारात्मकता की रफ्तार बढ़ाएगी. साथ ही इससे पड़ोस के लिए प्राथमिकता बढ़ाने की कोशिशों का भी प्रमाण देगा. दोनों देशों के रिश्तों में साझेदारी का दायरा बहुत व्यापक है. चाहे विकास सहयोग का मामला हो या कनेक्टिविटी परियोजनाओं की समीक्षा या लोगों के बीच नए संपर्क बनाने और जलविद्युत योजनाओं समेत सभी विषयों पर चर्चा संभव है.


नेपाल में भारतीय राजदूत से इसी माह विदेश सचिव बने क्वात्रा ने सीमा मामलों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस विषय पर दोनों देशों के बीच स्थापित तंत्र है. हमने हमेशा कहा कि यही सही तरीका है इन मुद्दों पर बात करने का जिसमें हम राजनीतिकरण किए बिना खुलकर बातचीत संभव है. लिहाजा सीमा मामलों संबंधी विषयों पर स्थापित तंत्र के जरिए ही बात होगी.


जलविद्युत परियोजनाओं पर निश्चय ही बात होगी. भारत ने बड़े पैमाने पर नेपाल के जलविद्युत क्षेत्र में निवेश किया है.दोनों देशों के बीच बिजली कारोबार भी मजबूत है. बीते माह नेपाली पीएम देउबा की भारत यात्रा के दौरान भी नेपाल से 360 मेगावॉट बिजली के आयात की इजाजत दी गई थी. मामला चाहे नेपाल से भारत को निर्यात का हो या भारत से नेपाल को उर्जा निर्यात का विषय हो या फिर नेपाल से तीसरे देश के लिए बिजली का संचार हो, इन सभी मामलों में आपस में लगातार वार्ता जारी है. दोनों पीएम मिलेंगे तो भी जाहिर तौर पर इस विषय पर भी चर्चा होगी.


भारत और नेपाल के रिश्तों की सबसे महत्वपूर्ण बात दोनों मुल्कों के बीच साझा सांस्कृतिक विरासत और नागरिक संपर्क है जो सदियों पुराने हैं. विदेश सचिव ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री ने 2014 की अपनी यात्रा के बाद से लगातार इस संबंध में खास ध्यान दे रहे हैं.