चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि भारत को छोटे समय के तेज युद्ध और लंबे समय तक चलने वाले युद्ध दोनों के लिए तैयार रहना चाहिए. वह सोमवार को IIT बॉम्बे में एक लेक्चर दे रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत को दोनों पड़ोसी देशों से खतरा है.

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दोनों पड़ोसी देशों के पास न्यूक्लियर हथियार

जनरल चौहान ने कहा, 'एक पड़ोसी देश न्यूक्लियर वेपन स्टेट (परमाणु हथियार वाला) और दूसरा न्यूक्लियर आर्म्ड स्टेट (परमाणु हथियार रखने वाला) है. इस वजह से डिटरेंस यानी रोकथाम का स्तर टूटना नहीं चाहिए. उन्होंने पाकिस्तान और चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन संकेत साफ था कि जमीन के विवाद इन दोनों से हैं.

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उन्होंने कहा, 'हमें आतंकवाद को रोकने के लिए कम समय के हाई इंटेंसिटी युद्ध लड़ने के लिए तैयार रहना चाहिए, जैसे ऑपरेशन सिंदूर. जमीन के विवाद की वजह से लंबे समय तक चलने वाले जमीन केंद्रित युद्ध के लिए भी तैयार रहें, लेकिन इसे टालने की कोशिश करें.'

युद्ध अब तीसरी क्रांति के मुहाने पर

जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध अब तीसरी क्रांति के मुहाने पर है, जिसे वे 'कन्वर्जेंस वॉरफेयर' कहते हैं. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, एज कंप्यूटिंग, हाइपरसोनिक हथियार, एडवांस्ड मटेरियल और रोबोटिक्स जैसी टेक्नोलॉजी का बड़ा रोल होगा. उन्होंने कहा, 'आने वाले समय में मल्टी-डोमेन ऑपरेशंस यानी जमीन, हवा, समुद्र, साइबर और स्पेस में एक साथ ऑपरेशन जरूरी हो जाएंगे. हमारे पास कोई और ऑप्शन नहीं बचेगा.'

ऑपरेशन सिंदूर में भारत को बड़ी कामयाबी मिली

जनरल चौहान ने कहा कि यह युद्ध सिर्फ 4 दिन चला, लेकिन भारत को निर्णायक जीत मिली क्योंकि सभी क्षेत्रों का एक साथ और तेजी से इस्तेमाल किया गया. मल्टी-डोमेन ऑपरेशन के लिए आर्मी, नेवी, एयर फोर्स के साथ साइबर, स्पेस और कॉग्निटिव डोमेन (मनोवैज्ञानिक युद्ध) की फोर्सेस में गहरा तालमेल चाहिए.

सेना को नई टेक्नोलॉजी की ओर बढ़ना होगा

जनरल चौहान का यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत चीन और पाकिस्तान दोनों से सीमा पर तनाव का सामना कर रहा है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह बयान सेना की तैयारी और नई टेक्नोलॉजी अपनाने की दिशा में बहुत जरूरी है.