तालिबान के कब्जे के बाद सभी के जहन में यही सवाल है कि भारत का रुख अब अफगानिस्तान के प्रति क्या रहने वाला है. भारत अफगानिस्तान की नई तालिबानी हुकूमत के साथ संपर्क बनाएगा या नहीं. एबीपी न्यूज को सरकार के सूत्रों ने बताया कि देश हित को देखते हुए जिस भी पक्ष से बात करने की जरूरत है, भारत उसके साथ संपर्क और बातचीत करेगा. हालांकि भारत ने पहले भी कभी तालिबान से संपर्क में होने की खबरों को खारिज नहीं किया था.


एबीपी न्यूज को सूत्रों से मिली एक्सक्लुजिव जानकारी के मुताबिक, अफगानिस्तान की नई परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार तालिबानी हुकूमत के मद्देनजर नई नीति बनाएगा. सबसे बड़ी बात ये है कि तालिबान से भी बातचीत की जाएगी. यहां एबीपी न्यूज अपने पाठकों को ये बताना जरूरी समझता है कि राजनयिक भाषा में इसे एक पक्ष से Engage करना कहा जाता है, जो कि अपने आप बहुत बड़ी जानकारी है जो एबीपी न्यूज आपको बता रहा है.


पंजशीर के विद्रोह को कोई महत्व नहीं
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच मंगलवार को 45 मिनट की बातचीत हुई थी. अफगानिस्तान के अमेरिका से बाहर निकलने के बाद खुद राष्ट्रपति पुतिन का भारत के प्रधानमंत्री से अफगानिस्तान के मुद्दे पर बात करना अपने आप में ये भी दिखाता है कि रूस जैसे देश को भी ये बात समझ आ रही है कि अफगानिस्तान में बदली परिस्थितियों के मद्देनजर इस क्षेत्र में भारत की बहुत अहम भूमिका रहने वाली है.


तालिबान के खिलाफ पंजशीर के विद्रोह को सूत्रों ने ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं बताया. सूत्रों के मुताबिक, पंजशीर के विरोध में इस बार अब तक कोई बहुत मजबूती नजर नहीं आती. लिहाजा उसका अफगानिस्तान के राजनीतिक भविष्य के संदर्भ में फिलहाल कोई महत्व नहीं है.


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