Rajnath Singh At National Defence College: ग्लोबल वर्ल्ड ऑर्डर किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा पर निर्भर करता है. क्योंकि आतंकवाद को सीमा-पार से मिल रहे समर्थन के चलते आंतरिक सुरक्षा और बाहरी सुरक्षा के बीच अंतर लगातार कम होता जा रहा है. यही वजह है कि साइबर-अटैक (Cyber Attack) और इंफोर्मेशन वॉरफेयर (Information Warfare) जैसे खतरों से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों को एक साथ प्रयास करने होंगे. ये मानना है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह गुरूवार को नेशनल डिफेंस कॉलेज (एनडीसी) के दीक्षांत समारोह को संबोधन कर रहे थे. इस दौरान उन्होनें कहा कि आतंकवाद के लिए ट्रेनिंग, फंडिंग और हथियारों की सप्लाई तक देश से बाहर से हो रही है. यही वजह है कि इंटरनेल सिक्योरिटी और एक्सटर्नल सिक्योरिटी के बीच अंतर घटता जा रहा है. 


वर्ल्ड ऑर्डर के लिए है बेहद जरूरी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रीय-सुरक्षा किसी एक देश के लिए 'जीरो-सम-गेम' नहीं है बल्कि ग्लोबल 'वर्ल्ड-ऑर्डर' यानि वैश्विक-व्यवस्था के लिए बेहद जरुरी है. देश के सबसे प्रतिष्ठित सैन्य संस्थानों में से एक, एनडीसी के दीक्षांत समारोह में भारत के सशस्त्र सेनाओं के वरिष्ठ सैन्य अफसर, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के अलावा मित्र-देशों के मिलिट्री ऑफिसर भी मौजूद थे.


राजनाथ सिंह ने साफ तौर से कहा कि भारत ऐसी विश्व-व्यवस्था चाहता है जो बहु-गठबंधन नीति पर आधारित हो ना कि कुछ देशों को अपने को दूसरे देशों से श्रेष्ठ समझने पर.


क्या है पीएम मोदी की राष्ट्रीय सुरक्षा का केंद्र बिंदु?
रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का मुख्य केंद्र-बिंदु राष्ट्रीय सुरक्षा है. उन्होनें कहा कि देश की पूर्ण क्षमता का उपयोग तभी किया जा सकता है जब उसके हितों की रक्षा ठीक प्रकार से की जा सके. इंफोर्मेशन वॉरफेयर यानि सूचना-युद्ध पर चिंता जाहिर करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस और यूक्रेन युद्ध में इसका प्रसार खुलकर सामने आया है. सोशल मीडिया पर दोनों ही देश अपने-अपने तरह से युद्ध का वर्णन कर रहे हैं.


किन देशों में पैदा हुआ है खाद्यान्न संकट?
राजनाथ सिंह ने कहा कि जब किसी क्षेत्र की शांति और सुरक्षा को खतरा होता है तो उसका पूरी दुनिया पर पड़ता है. उन्होनें कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते एशिया और अफ्रीका में खाद्य संकट पैदा हो गया है. क्योंकि रूस और यूक्रेन को ब्रेड-बास्केट ऑफ द वर्ल्ड माना जाता है. दोनों देश मिलकर दुनिया के लगभग एक तिहाई गेहूं और जौ का निर्यात करते हैं. रक्षा मंत्री ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच चल रही लड़ाई के चलते अंतरराष्ट्रीय उर्जा आपूर्ति भी बाधित हुई है और उर्जा आयात भी बहुत मंहगा हो गया है.


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