नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच सीमा तनाव घटाने को लेकर छठी और एक अहम दौर की सैन्य कमांडर स्तर बातचीत सोमवार 21 सितंबर को मोल्डो में होगी. बीत सहस्र महीने से जारी सीमा तनाव के बीच सैन्य कमांडर स्तर वार्ता में पहली बार भारत की तरफ से एक वरिष्ठ राजनयिक भी मौजूद होंगे. सीमा के मोर्चों से लेकर बातचीत की मेज पर जहां भारत की कोशिश समाधान का रास्ता निकालने की है वहीं चीन को उसकी ही भाषा में सबक सिखाने की भी है.


उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक वास्तविक नियत्रंण रेखा पर मोल्डो (चीन की तरफ) में यह बैठक भारतीय समयानुसार करीब 9 बजे पर शुरू होगी. दोनों देशों के बीच 29-31अगस्त की घटनाओं और 7 व 9 सितंबर को हुई गोलीबारी की वारदातों के बाद दोनों देशों के बीच सीमा पर यह पहली उच्च स्तरीय बैठक हो रही है.


आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बैठक के लिए विदेश मंत्रालय में चीन मामलों के प्रभारी और चीनी भाषा के जानकार सँयुक्त सचिव स्तर अधिकारी को भेजा जा रहा है. इससे व्यापक राजनीतिक समझ और समाधान का राजनयिक रास्ता निकालने में भी मदद होगी. लिहाज़ा बैठक में सेना की 14वीं कोर के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और विदेश मंत्रालय में पूर्वी एशिया मामलों के प्रभार सँयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव भी मौजूद होंगे.


महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों के बीच विदेश मन्त्री स्तर की बातचीत के बाद पांच सूत्रीय फार्मूले पर सहमति जताई गई थी. इसमें दोनों पक्षों के बीच सीमा पर सैन्य स्तर सँवाद जारी रखने और जल्द से जल्द आमने-सामने की स्थिति खत्म करने पर जोर दिया गया था. साथ ही


भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए बने कार्य तंत्र WMCC भी बैठकें जारी रखने पर भी रजामंदी जताई गई थी. दोनों देशों के सीमा तंत्र WMCC की अगुवाई भी भारत की तरफ से संयुक्त सचिव पूर्वी एशिया ही करते हैं.


सीमा पर सोमवार जो होने वाली सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले 31 अगस्त से 7 सितंबर के बीच ब्रिगेडियर रैंक स्तर अधिकारियों के बीच आधा दर्जन से अधिक वार्ताएं बेनतीजा रही थी. वहीं पूर्वी लद्दाख के इलाके में 1962 युद्ध के बाद पहली बार हुई गोलीबारी की घटनाओं को उपरांत यह पहला मौका होगा जब दोनों देशों के वरिष्ठ अधिकारी बातचीत की मेज पर आमने-सामने होंगे.


उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक उच्च स्तरीय बातचीत के लिए जहां चीनी भाषा के जानकार अधिकारियों को भेजा जा रहा है. वहीं भारतीय सेना ने भी इलाके में तैनात अपनी यूनिट्स के बीच मंदारिन जानने वाले अधिकारियों की तैनाती बढ़ाई है. यह भाषाई दांव चीन के पैंतरों को सही तरह से पढ़ने के लिए भी चला गया है.


गौरतलब है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के मोर्चे पर चीन की तरफ से मीठि बात-कड़वी चाल की रणनीति को मात देते हुए भारत ने 29-31 अगस्त के बीच पैंगोंग झील के दक्षिणी इलाके में जहां कई पहाड़ियों पर अपनी तैनाती बना ली. वहीं झील के उत्तरी इलाके में फिंगर4 के करी भी चीनी मोर्चाबंदी को अपनी फायरिंग घेराबंदी की जद में ले लिया. इससे बौखलाए चीन ने भारत को हटाने के लिए कभी भालों जैसे पारंपरिक हथियारों का सहारा लिया तो कभी हवाई फायरिंग जैसे हथकंडे अपनाए. ध्यान रहे की भारत की जवाबी कार्रवाई से बौखलाए चीनी सैनिकों ने 7 और 9 सितंबर को पैंगोंग झील के इलाके में हवाई फायरिंग का सहारा लिया था. हालांकि चीनी पीएलए भारतीय सैनिकों को उनकी मोर्चाबंदी से नहीं डिगा पाई.


उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार चीन को उसके ही पैंतरों में जवाब देने के बावजूद भारत यह साफ कर चुका है कि वो शांतिपूर्ण तरीके से समाधान चाहता है. जिसके लिए जरूरी है कि चीनी सैनिक अपनी आपनी आक्रामक तैनाती और भारी सैन्य जमावड़े को कम करें. वहीं यदि चीन तनाव को बढ़ाना चाहता है तो भारतीय सेना अपनी जमीन की रक्षा करने के लिए हर संभव उपाय करने में सक्षम है. ऐसे में सोमवार को होने वाली बातचीत में भी भारत की तरफ से यह बताने पर जोर होगा कि चीन यदि वाकई में टकराव टालते हुए समाधान की गुंजाइश निकालना चाहता है तो उसे सैन्य आमने-सामने की स्थिति सुलझाने और भारी सैन्य जमावड़े को घटाने के कदम उठाने होंगे.


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