India Confronts Confronts Myanmar Over China: कोको द्वीप समूह में एक जगह हवाई पट्टी जैसा कुछ निर्माण चल रहा है. इसे लेकर बीते महीनों में भारतीय अधिकारियों ने म्यामांर के अपने समकक्षों का सामना किया है. संदेह है कि भारत पर निगरानी के लिए म्यांमार में चीन सर्विलांस पोस्ट बनाने में मदद कर रहा है. भारतीय अधिकारियों ने सबूत दिखाकर म्यांमार से इस बारे में पूछा भी है. म्यांमार के अधिकारियों ने अपने जवाब में आरोपों से इनकार किया है. इस घटनाक्रम के बारे में जानकारी हाल में प्रकाशित ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दी गई है.


कोको द्वीप समूह बंगाल की पूर्वोत्तर खाड़ी और म्यांमार के यांगून क्षेत्र के तहत आता है. इसी साल जनवरी में कोलाराडो की आईटी कंपनी मैक्सर टेक्नोलॉजीस ने कुछ सैटेलाइट इमेज के जरिये इस इलाके में निर्माण गतिविधियों के नए स्तर को दिखाया था. जिसके बाद निर्माण में चीनी संलिप्तता को लेकर सवाल उठने लगे.


भारत ने म्यांमार को दिखाए सबूत


रिपोर्ट में मामले के बारे में जानकारी रखने वाले अधिकारियों (जिन्होंने पहचान उजागर करने से मना किया) के हवाले से बताया गया है कि भारत सरकार के प्रतिनिधियों ने कई स्तर पर म्यामांर के अपने समकक्षों के साथ सैटेलाइट तस्वीरों को साझा किया, जिनमें दिखाया गया है कि हिंद महासागर के कोको द्वीप समूह में 'लिस्निंग पोस्ट' (Listening Post) जैसे प्रतीत होते निर्माण कार्य में चीनी श्रमिक मदद कर रहे हैं. अधिकारियों ने कहा कि श्रमिकों को एक हवाई पट्टी का विस्तार करते हुए देखा गया है. 


भारत के लिए चिंता की बात क्यों?


बता दें कि भारत के अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से कोको आइलैंड्स बमुश्किल 55 किलोमीटर की दूरी पर हैं. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के लिए चिंता की बात इसलिए है क्योंकि ऐसे निर्माण से चीन को भारतीय नौसैनिक अड्डों से किए जाने वाले संचार की निगरानी करने और परीक्षण स्थलों से छोड़ी जाने वाली मिसाइलों को ट्रैक करने में मदद मिल सकती है. 


रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अधिकारियों ने यह भी कहा है कि बैठकों के दौरान म्यांमार के अधिकारियों ने कोको द्वीप समूह में चीन की भागीदारी के बारे में आरोपों को खारिज किया है.


म्यांमार से क्या मिला जवाब?


म्यांमार के सत्तारूढ़ स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन काउंसिल के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन तुन ने आरोपों को निराधार बताया है और कहा कि उनका देश कभी भी किसी विदेशी सरकार को अपनी धरती पर सैन्य अड्डा बनाने की स्वीकृति नहीं देगा. उन्होंने कहा कि म्यांमार और भारत के बीच हमेशा कई स्तरों पर बातचीत होती है लेकिन इस मुद्दे पर कोई खास चर्चा नहीं हुई है. जॉ मिन तुन ने कहा कि भारत सरकार पहले से ही अच्छी तरह वाकिफ है कि केवल म्यांनमार के सुरक्षाबल ही वहां मौजूद हैं और वे अपने देश की रक्षा गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. 


भारत का रुख


हाल में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारत अपने हितों की रक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा. म्यांमार के आश्वासन के बाद भी भारत कोको आइलैंड्स में चीन की संलिप्तता के किसी प्रयास को रोकने के लिए पड़ोसी देश पर दबाव बनाना जारी रखेगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के राजदूत चेन हाई या चीनी विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.


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