सुरी (पश्चिम बंगाल): लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेना से लोहा लेते हुए शहीद हुए राजेश ओरंग तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े थे और 2015 में सेना में शामिल हुए थे. उनके शोक संतप्त पिता सुभाष ने बुधवार सुबह कहा कि मेरे बेटे ने देश की सेवा की और उसके लिए अपनी जान दे दी. राजेश की मां ममता अभी कुछ बोलने की हालत में नहीं है. मां आस लगाए हुए थे कि अगली छुट्टियों में जब बेटा घर आएगा तो उसकी शादी कराएंगे.


सुभाष ने बताया कि राजेश की दो छोटी बहनें हैं. वह 2015 में सेना में भर्ती हुआ था और बिहार रेजीमेंट से था. उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों ने मंगलवार शाम को राजेश की मौत के बारे में सूचना दी. उनकी उम्र 20 साल के आसपास थी.


उनकी छोटी बहन शकुंतला ने कहा, ‘‘बचपन से ही मेरा भाई देश की सेवा करना चाहता था और वह सेना में शामिल होकर खुश था. वह कुछ महीनों पहले छुट्टी पर घर आया था और उसकी शादी की बातचीत चल रही थी.’’


बीरभूम जिले के तहत आने वाले मोहम्मदबाजार पुलिस थाने के बेलगोरिया गांव में साधारण से किसान सुभाष ने गरीबी के बीच अपने बच्चों की परवरिश की.


एक कर्नल रैंक के कमांडिंग अफसर सहित कुल 20 जवान शहीद


चीन सीमा पर पिछले पचास सालों की सबसे बड़ी खूनी झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल रैंक के कमांडिंग अफसर सहित कुल 20 जवान शहीद हो गए. लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गलवान घाटी में ये घटना सोमवार और मंगलवार की देर रात हुई, जिसमें माना जा रहा है कि चीनी सेना को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है और बड़ी तादाद में चीन के PLA सैनिक हताहत हुए हैं.


मंगलवार की देर शाम भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि गलवान घाटी में 14-15 जून की दरमियानी रात को चीनी सैनिकों से हुई झड़प में तीन सैनिकों की मौत हो गई थी. बाद में उन 17 सैनिकों ने भी दम तोड़ दिया जो इस झड़प में गंभीर रूप से घायल हुए थे.


इस तरह, कुल 20 सैनिक कारवाई के दौरान शहीद हो गए. सेना ने मारे गए सैनिकों के लिए ‘किल्ड इन एक्शन’ शब्द का इस्तेमाल किया, जो कि भारतीय सेना किसी भी सैनिक के कर्तव्य निभाते हुए जान चले के दौरान इस्तेमाल करती है.


सेना अपने देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध


भारतीय सेना ने अपने संक्षिप्त बयान में ये भी कहा कि हालांकि, गलवान घाटी में जिस जगह भारत और चीन के सैनिकों की भिड़ंत हुई थी वहां अब डिसइंगेजमेंट हो चुका है यानी वहां सैनिक पीछे हट गए हैं, लेकिन बयान में साफ तौर से कहा गया कि “सेना अपने देश की संप्रभुता और अखंडता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.”


शुरूआत में शहीद हुए सैनिकों की पहचान 16 बिहार के कमांडिंग ऑफिसर (सीओ) कर्नल बी संतोष बाबू और उनकी ही यूनिट के दो अन्य सैनिकों के तौर पर हुई (देर रात तक हालांकि आधिकारिक तौर से सेना ने शहीद हुए 19 सैनिकों के नाम और फोटो जारी नहीं किए थे.)


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