नई दिल्ली: एलएसी पर चल रही तनातनी के बीच चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने एक वीडियो जारी किया है, जिसमें चीनी सैनिकों की सर्दियों से लड़ने की तैयारियों को दिखाया गया है. लेकिन खास बात ये है कि वीडियो में जो सैनिक पैट्रोलिंग करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं, वे सर्दियों के गियर में तो दिखाई पड़े, लेकिन उनके हाथों में कोई हथियार नहीं. ऐसे में सवाल खड़ा हो रहा है कि जब एलएसी पर भारत से टकराव चल रहा है, तो चीनी सैनिक बिना हथियारों के कौन सा शांति का पाठ पढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. क्या ये वीडियो चीनी सेना के प्रोपेगेंडा का हिस्सा तो नहीं.


‘ग्लेयर-रिड्यूसिंग लेंस, मल्टीफंक्शनल केतली, ठंड से बचाने वाले कपड़े...ये सब उन पीएलए सैनिकों के लिए है जो तिब्बत के पठार में पैट्रोलिंग (गश्त) करेंगे.’ ये कहना है चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स का, जिसने चीनी सैनिकों का वीडियो जारी करते हुए अपने ट्विटर एकाउंट पर लिखा. करीब डेढ़ मिनट के इस वीडियो में हैरानी की बात ये है कि चीनी सैनिकों के हाथों में कोई हथियार नहीं है. जबकि अब तक ग्लोबल टाइम्स और चीनी सेना ने जो वीडियो जारी किए, उनमें खाना बनाते और खाते हुए भी चीनी सैनिक कंधों पर राइफल और सिर पर हेलमेट पहनते दिखे हैं. ऐसे में इस वीडियो की सत्यता पर थोड़ा विश्वास करना मुश्किल है.


साफ है कि चीन दुनिया को दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वो कितना शांति-प्रिय देश है और उसकी सेना भारत से सटी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर टकराव नहीं चाहती है. जबकि पूरी दुनिया देख चुकी है कि उसकी सेना किस तरह से हाथों में मध्यकालीन भाले और बर्छी जैसे बर्बर हथियार लेकर भारतीय सीमा की तरफ आती है. यही नहीं भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की 10 सितंबर की बैठक से पहले भी चीनी सेना ने एलएसी पर हवाई फायरिंग की थी.


आपको बता दें कि एक तरफ तो चीन बातचीत के जरिए एलएसी विवाद सुलझाने का दम भर रहा है, वहीं अपने सैनिकों को सर्दियों के लिए तैयार कर रहा है. लेकिन यहां पर आपको बता दें कि चीन की इन्हीं हरकतों को देखते हुए भारतीय सेना ने सर्दियों के लिए अपने ऑप्स-लॉजिस्टिक की तैयारी पहले ही पूरी कर ली थी. एबीपी न्यूज ने हाल ही में दिखाया था कि किस तरह भारतीय सेना ने स्पेशल जैकेट्स, बूट्स, ग्लब्स, गोग्लस और आर्टिक टैंट फॉरवर्ड लोकेशन में पहुंचा दिए हैं, ताकि एलएसी के कड़ाके की ठंड से लड़ा जा सके. भारतीय सेना ने करीब 14 महीने का स्पेशल राशन सहित हथियार और गोला-बारूद स्टोर कर रख लिया है.


गौरतलब है कि सोमवार से शुरू हो रहे भारतीय सेना के चार दिवसीय आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में भी एलएसी पर तैनात सैनिकों की जरूरतों को लेकर गहन चर्चा की जा रही है.


सीमा पर चीन से चल रही तनातनी के बीच थलसेना प्रमुख की अगुवाई में चार दिनों तक चलने वाले इस सम्मलेन में कॉलेजिएट-प्रणाली के जरिए सेना के सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर पॉलिसी तैयार की जा रही है. खुद रक्षा मंत्री और सीडीएस सहित वायुसेना प्रमुख और नौसेनाध्यक्ष भी सम्मेलन को संबोधित करेंगे. पहली बार अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख भी इस सम्मलेन में शिरकत करेंगे और पूरा एक दिन बॉर्डर पर चल रहे निर्माण-कार्यों की समीक्षा के लिए निश्चित किया गया है.


साल में दो बार होने वाली थलसेना के इस शीर्ष सम्मेलन में सह-सेनाध्यक्ष सहित सभी सातों कमान के प्रमुख (आर्मी कमांडर्स), सेना-मुख्यालय में तैनात प्रिंसिपल स्टॉफ ऑफिसर्स (पीएसओ) और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी शामिल हैं. इन चार दिनों में थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे के नेतृत्व में सेना की ऑपरेशनल तैयारियों सहित सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक साथ मिलकर नीति निर्धारण की जाएगी. इन विषयों में चीन से एलएसी पर चल रहा तनाव, एलओसी पर सेना की तैयारी और कश्मीर सहित आंतरिक सुरक्षा शामिल है. इस दौरान पहला दिन सेना से जुड़े मानव संसाधन प्रबंधन के मुद्दे पर चर्चा होगी.


भारतीय सेना की तैयारियों को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (नेशनल सिक्योरिटी एडवायज़र यानि एनएसए) अजीत डोवाल के उस कथन के संदर्भ में देखना चाहिए, जिसमें उन्होनें कहा था कि भारत को जहां भी खतरा होगा वहां लड़ेगा, चाहे फिर भारत की धरती पर हो या विदेश की. एनएसए अजीत डोवाल ने ये बयान रविवार को ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन के आश्रम में दिया था. हालांकि, बाद में इस बात की सफाई भी सामने आई थी कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का ये बयान चीन के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए.


इस बीच ग्लोबल टाइम्स में उन ‘विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स’ का खंडन किया गया है, जिसमें ये कहा गया है कि चीनी सेना ने भारत के 20 सैनिकों का अपहरण कर बंधक बनक लिया है. हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने ये साफ नहीं किया कि वे कौन सी विदेशी मीडिया है, जहां इस तरह की खबर छपी है.


यहां पर आपको ये भी बता दें कि दो दिन बाद (28-29 अक्टूबर) को संसद समिति का एक खास प्रतिनिधिमंडल हाई-ऑल्टिट्यूड में सैनिकों की स्पेशल क्लोथिंग और राशन के लिए लेह-लद्दाख के दौरे पर जा रहा है.


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