मंगलवार को गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. हालांकि, पहले भारतीय सेना ने एक अफसर समेत तीन जवानों की शहादत की पुष्टि की थी. ये हिंसक झड़प 45 साल में पहली बार हुई जिसमें किसी भारतीय जवान को कुर्बानी देनी पड़ी.


45 साल पहले भारत-चीन सीमा पर 1975 में चीन के हमले में 4 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे. उस वक्त अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर भारतीय सेना के गश्ती दल पर चीनी सेना ने धावा बोल दिया था. इससे पहले 1967 में नाथु ला के पास इस तरह की घटना सामने आ चुकी थी. जब सीमा पर दोनों देशों की सेना के बीच झड़प हुआ. सिक्किम में हिंसक झड़प के पीछे एक प्रमुख कारण था भारत की स्थिति में मजबूती. भारत नाथु ला सीमा पर 1962 की जंग के बाद अपनी हालत बेहतर कर रहा था. जिससे चीन इसलिए चिढ़ा हुआ था. 1967 की जंग में भारत के 80 जवानों को शहादत नसीब हुई जबकि चीन को भारी हताहत का सामना करना पड़ा.


भारत-चीन के बीच युद्ध में चीन के करीब 400 सैनिक मारे गए. फिलहाल लद्दाख में पिछले 40 दिनों से तनाव का कोई समाधान नहीं निकल पाया है. हालांकि सैन्य स्तर पर बातचीत से तनाव को ठंडा करने की कोशिश जरूर की गई. दरअसल विवाद की जड़ भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी एलएसी है. इसे 1962 की लड़ाई के बाद की वास्तविक स्थिति भी माना जाता है. सूत्रों के मुताबिक वास्तविक नियंत्रिण रेखा पर चीन ने सैनिक टुकड़ियों को भेजकर आग भड़काने का काम किया. मई में उसने सीमा पर अपने सैनिकों की गतिविधियां बढ़ा दीं. उसी वक्त से दोनों देशों की सेनाएं लद्दाख में आमने-सामने हैं.


गलवान घाटी: 20 सैनिकों की शहादत पर बोले राहुल- पीएम चुप क्यों हैं? चीन की हिम्मत कैसे हुई?


In Details: जानिए- पूर्वी लद्दाख की उस गलवान घाटी को जहां भारत के 20 जवान शहीद हो गए