लद्दाख: एलएसी पर लगातार भारत के हाथों पिटने के बाद चीन अब पुरानी चालें चलने लगा है. जानकारी के मुताबिक, चीनी सेना ने एलएसी पर लाउडस्पीकर लगा दिए हैं, ताकि‌ उनके‌ जरिए प्रोपेगेंडा‌ किया जा‌ सके और भारतीय सैनिकों का मनोबल गिराया जा सके. इसके जवाब में भारत ने भी लाउडस्पीकर लगा दिए हैं.


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन ने हाल ही में एक लाउडस्पीकर लगाया है‌, जिसपर पंजाबी गाने चलाए जाते हैं. जानकारी के मुताबिक, विवादित फिंगर एरिया में चीन की पीएलए सेना ने ये 'प्रोपेगेंडा लाउडस्पीकर' लगाया है. क्योंकि यहां सिख या फिर पंजाबी सैनिकों की पलटन तैनात है ऐसे में चीनी सेना साईक्लोजिकल-प्रेशर के तहत इस तरह के गाने बजा रही है. लेकिन सूत्रों ने साफ किया कि भारतीय सेना ने भी चीन सेना के प्रोपेगेंडा के खिलाफ ऐसा ही एक लाउडस्पीकर लगाया है.


दरअसल, फिंगर एरिया में भारत और चीन की सेनाओं के बीच जबरदस्त टकराव की स्थिति बनी हुई है. 8-9 सितबंर को दोनों देशों के बीच फिंगर 3-4 के बीच जबरदस्त फायरिंग हुई थी. बताया जा रहा है कि दोनों देशों के सैनिकों ने जबरदस्त हवाई फायरिंग की. हालांकि दोनों देशों के सैनिकों ने एक दूसरे पर फायरिंग नहीं की थी. भारतीय सेना के ‌सूत्रों के मुताबिक, 10 सितंबर को मास्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच हुई बैठक के चलते इस घटना को उजागर नहीं किया गया था.


जानकारी के मुताबिक, चीनी सेना ने एक ऐसा ही लाउडस्पीकर अपने मोलडो गैरिसन यानि छावनी में लगा रखा है और वहां पर भारत-विरोधी भाषण चलाता है. ये इसलिए ताकि भारतीय सैनिकों में असंतोष की भावना पैदा की जाए. क्योंकि 29-30 अगस्त की रात की कार्रवाई के बाद से भारतीय सैनिक मोलडो के दोनों तरफ गुरंग और मगर हिल पर तैनात हैं. और मोलडो में लगे लाउडस्पीकर की आवाज इन पहाड़ियों तक पहुंच जाती है.


पूर्व उपथलसेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने एबीपी न्यूज को बताया कि भारतीय सेना पर अब चीन का ये साईक्लोजिकल दबाव नहीं चलेगा, क्योंकि भारतीय सैनिक मनोवैज्ञानिक तौर से बेहद मजबूत हैं.


आपको बता दें कि 1962 के युद्ध‌ और 1967 की नाथूला-चोला लड़ाई के दौरान भी चीनी सेना ऐसे ही एलएसी पर लाउडस्पीकर के जरिए प्रोपेगेंडा करती थी. 1967 में सिक्किम सेक्टर में चीनी सेना भारत की किसी कार्रवाई पर लाउडस्पीकर पर बोलती थी कि भारतीय सेना का हाल '62 के युद्धवाला कर देंगे. बावजूद इसके भारतीय सैनिकों ने नाथूला-चोला की लड़ाई में चीनी सेना को जबरदस्त पटखनी दी थी.


दुनिया के सबसे किलेबंदी वाले नॉर्थ और साउथ कोरिया के बॉर्डर, डीएमजेड यानि डि-मिलिट्राइज़ जोन में भी दोनों देश इस तरह के प्रोपेगेंडा लाउडस्पीकर बजाते हैं. एबीपी न्यूज की टीम जब वर्ष 2017 में डीएमजेड गई थी तब उस तरह के लाउडस्पीकर्स को अपने कैमरे में कैद किया था. जानकारों की मानें तो कम्युनिस्ट देश इस तरह के प्रोपेंगेंडा वॉरफेयर में ज्यादा लिप्त हैं. नार्थ कोरिया और चीन दोनों ही कम्युनिस्ट देश हैं. लेकिन उनको काउंटर करने के लिए दक्षिण कोरिया और भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों को भी ऐसी रणनीति अपनानी पड़ती है.


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