I.N.D.I.A. Seat Sharing Formula: लोकसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है. ऐसे में 28 विपक्षी दलों के इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में जल्द से जल्द सीट बंटवारे का काम खत्म करने पर आम सहमति बनी है. टीएमसी जैसे दलों ने 31 दिसंबर तक सीट बंटवारा कर लेने की मांग कर दी है. हालांकि, बैठक में तय हुआ कि 15 जनवरी तक ज्यादातर राज्यों में सीटें बांट ली जाएंगी. 


सीट बंटवारे को लेकर पार्टियों के बीच राज्य स्तर पर बात होगी. ज्यादातर राज्यों में वहां की क्षेत्रीय पार्टी और कांग्रेस के बीच बात होनी है. इंडिया गठबंधन की बैठक से ठीक पहले कांग्रेस ने गठबंधन पर चर्चा के लिए पांच वरिष्ठ नेताओं की कमिटी बनाई है. हालांकि ये कवायद आसान नहीं रहने वाली है. खास तौर पर कम से कम आधा दर्जन राज्य ऐसे हैं, जहां सीट बंटवारे का पेंच बेहद जटिल है. 


दिल्ली-पंजाब को लेकर AAP-कांग्रेस में सबसे ज्यादा उलझन


सबसे ज्यादा उलझन दिल्ली–पंजाब को लेकर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है. कांग्रेस नेतृत्व और अरविंद केजरीवाल तो साथ नजर आ रहे हैं, लेकिन दोनों दलों के प्रदेश के नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहते हैं. 


एक राय यह है दिल्ली की सात सीटों पर गठबंधन हो, लेकिन पंजाब में दोनों दल आमने सामने लड़ें, क्योंकि वहां बीजेपी मजबूत है. हालांकि यदि पंजाब में बीजेपी और अकाली दल का गठबंधन होता है तो फिर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन तय है. दिल्ली की सात में से चार पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ सकती है. पंजाब और चंडीगढ़ की 14 सीटें दोनों पार्टियां आधी-आधी बांट सकती हैं. आम आदमी पार्टी गुजरात, गोवा और हरियाणा में भी कांग्रेस से सीटें मांग सकती है.


यूपी में कांग्रेस के लिए कितनी सीटें छोड़ेगी सपा?


सबसे बड़े राज्य यूपी में अब तक साफ नहीं है कि समाजवादी पार्टी कांग्रेस के लिए कितनी सीटें छोड़ेगी. ताजा पेंच यह है कि यूपी कांग्रेस के कुछ नेता बीएसपी को इंडिया गठबंधन में शामिल करना चाहते हैं, लेकिन मंगलवार को हुई इंडिया गठबंधन की बैठक में समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव ने साफ कह दिया कि एसपी को बीएसपी का साथ कुबूल नहीं है. सूत्रों की मानें तो एसपी के साथ गठबंधन में कांग्रेस की नजर यूपी की 80 में से 20 सीटों पर है. 


बिहार में आरजेडी और जेडीयू के साथ गठबंधन


बिहार में कांग्रेस आरजेडी, जेडीयू के साथ वाम दलों के साथ गठबंधन में है. यहां की 40 सीटों को लेकर जेडीयू और आरजेडी के बीच सीटों के चयन को लेकर तस्वीर साफ नहीं है. माना जा रहा है दोनों बड़े दल 15–15 सीटों पर लड़ सकते हैं. वहीं सीपीआई एमएल और सीपीआई ने ज्यादा सीटों का दबाव बनाया तो कांग्रेस को पांच सीटों से ही संतोष करना पड़ सकता है. 


पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से कैसे बनेगी बात?


बंगाल में वाम दल और ममता का एक साथ चुनाव लड़ना नामुमकिन है. ऐसे में कांग्रेस के सामने पहेली है कि वो वाम दलों के साथ गठबंधन जारी रखे या टीएमसी से हाथ मिलाए. दोनों दल बंगाल में कांग्रेस को पैर पसारने देना नहीं चाहते. ऐसे में बंगाल में कांग्रेस पांच–सात सीटों से आगे बढ़ती हुई नहीं दिख रही. 


महाराष्ट्र में कौन बड़ा भाई की लड़ाई!


महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में दो फाड़ के बाद कांग्रेस को लगता है कि वो बड़े भाई की भूमिका में रहेगी, लेकिन लगता नहीं कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार अपना हिस्सा कम करेंगे. कुल मिलाकर यहां तीनों दल 48 सीटें बराबरी से बांट सकते हैं. 


तमिलनाडु में डीएमके और झारखंड में जेएमएम के साथ कांग्रेस के गठबंधन में कोई खास उलझन नहीं है. इसके अलावा ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस की सीधी टक्कर बीजेपी से है. 


देखना यही है कि इंडिया गठबंधन के दल सीटों की गुत्थी कैसे और कब तक सुलझाते हैं. सभी दल चाहते हैं कि गठबंधन में उनके जितने सांसद होंगे, सत्ता आने पर भागीदारी भी उतनी मिलेगी. क्षेत्रीय दल चाहते हैं कि कांग्रेस उनसे सीटें मांगने से ज्यादा ध्यान उन राज्यों पर लगाए, जहां उसका बीजेपी से सीधा मुकाबला है. 


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